देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार में अब सरकारी सेवाएं तय समय सीमा में मिलेंगी। सरकारी सेवाओं में देरी होने पर अब जुर्माना भी लगेगा। इसको लेकर उत्तराखंड सरकार की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। उत्तराखंड में सेवा काअधिकार संशोधन अधिनियम लागू हो गया है। इससे जनता को सरकारी सेवाएं देने में देरी करने वाले अफसरों पर जुर्माना लगाने का अधिकार अब आयोग को मिल गया है। धामी सरकार ने जनता से जुड़ी प्रमुख सेवाओं को समयबद्ध रूप से दिलाने और भ्रष्टाचार पर अकुंश लगाने के लिए मार्च माह में गैरसैंण बजट सत्र में संशोधित अधिनियम पेश किया था।
राजभवन की मंजूरी के बाद विधायी विभाग ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। राज्य में अब यह संशोधित अधिनियम लागू हो गया है। सरकार ने विभिन्न विभागों की 855 सेवाएं सेवा का अधिकार आयोग के अधीन की हैं, जिसके लिए समय सारिणी भी तय की गई है।
इसके तहत यदि विभाग के अपीलीय अधिकारी ने समय पर सेवाएं नहीं दी तो संबंधित व्यक्ति विभाग के नामित अफसर के पास अपील करता था। द्वितीय अपीलीय अधिकारी को जुर्माना लगाने का अधिकार था। आमतौर पर विभागीय अफसर अधीनस्थ को जुर्माने की राशि से बचाने की कोशिश करते थे, लेकिन सरकार ने अब यह अधिकार आयोग को दे दिया।
इससे नामित अफसर पर संबंधित सेवाएं समय के भीतर देने का दबाव बना रहेगा। आयोग न्यूनतम पांच सौ और अधिकतम 5000 रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है। सेवा का अधिकार आयोग के सचिव जीसी गुणवंत ने कहा कि सेवा के अधिकार आयोग को संशोधित अधिनियम प्राप्त हो गया है।
सेवाओं के टाइम फ्रेम तय करने के निर्देश
सचिव कार्मिक शैलेश बगौली ने बाल विकास, पशुपालन, शहरी विकास, ऊर्जा, सैनिक कल्याण आदि विभागों के अफसरों की बैठक ली और ऐसी सेवाएं चिन्हित करने को कहा जिन्हें जनता को समय के भीतर उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने इस सेवाओं का टाइम फ्रेम के साथ प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए।