बेंगलुरु : कर्नाटक मंत्रिमंडल ने गुरुवार को कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। इसमें भाजपा सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने के फैसले की घोषणा की गई। साथ ही तय हुआ कि अब स्कूलों और कॉलेजों में प्रार्थना के साथ-साथ संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ी जाएगी। यह जानकारी मंत्री एचके पाटिल ने दी। पाटिल ने कहा कि मंत्रिमंडल ने बैठक में इसका फैसला किया है। पाठ्यक्रम को लेकर भी सरकार विचार-विमर्श करने जा रही है।
17 मई, 2022 को राज्यपाल ने दी थी मंजूरी
धर्मांतरण विरोधी कानून के जरिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने लालच देकर या जबरदस्ती, धोखाधड़ी कर सामूहिक धर्मांतरण को रोकने के लिए लाया गया था। इसे दिसंबर 2021 में कर्नाटक विधानसभा में पास किया गया था। अध्यादेश को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 17 मई, 2022 को मंजूरी दी थी। इस बिल का कांग्रेस विधायकों के साथ-साथ ईसाई समुदाय के नेताओं ने भी कड़ा विरोध किया था। अब कांग्रेस सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने की घोषणा की है।
हेडगेवार का चैप्टर हटाया जाएगा
राज्य के कानून और संसदीप मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि मंत्रिमंडल ने स्कूली इतिहास की किताबों से केबी हेडगेवार (भाजपा के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापकों में से एक) के अध्यायों को हटाने का फैसला किया है। ये अध्याय पिछले साल जोड़ा गया था।
साथ ही भाजपा सरकार द्वारा स्कूली पाठ्यक्रम में किए गए सभी बदलावों को भी उलट दिया गया है। पाटिल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल ने स्कूलों और कॉलेजों में भजन के साथ संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य करने का भी फैसला किया है। कैबिनेट ने कृषि बाजारों (APMC) पर एक नया कानून लाने का भी फैसला किया है।
पूर्व शिक्षा मंत्री ने किया पलटवार
पूर्व शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने सिद्धारमैया सरकार पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि वे (कांग्रेस) मुसलमानों के वोट चाहते हैं, सिद्धरमैया की सरकार हिंदुओं के खिलाफ है। वे अल्पसंख्यकों के वोटों को आकर्षित करना चाहते हैं और हर चीज का राजनीतिकरण करना चाहते हैं।