टाइटैनिक का मलबा देखकर वापस आए लोगों ने बताया, कितना डरावना था अनुभव !

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न्यूज़ डेस्क: रविवार को समुद्र के अंदर लापता हुई टाइटन की तलाश जोर-शोर से जारी है. इस पनडुब्बी में पांच लोग सवार हैं, जो टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने निकले थे. जिस तरह से समय बीत रहा है उसी तरह पनडुब्बी में बैठे लोगों के बचने की उम्मीदें भी कम होती जा रही हैं.

टाइटन पनडुब्बी में ओशनगेट के CEO स्टॉकन रश, ब्रिटेन के बिजनेसमैन हमीश हार्डिंग, फ्रांस के डाइवर पॉल हेनरी नार्जियोलेट, पाकिस्तान के अरबपति शहजादा दाउद और उनके बेटे सुलेबान दाउद सवार हैं. इसी बीच टाइटैनिक जहाज का मलबा देखकर सही सलामत लौटने वाले यात्रियों ने अपने अनुभवों के बारे में बात की है.

पिछले साल नवंबर में सीबीएस संडे मॉर्निंग के असाइनमेंट के दौरान टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गए डेविड पोग ने टाइटन पनडुब्बी को ‘बिना सीटों वाला मिनीवैन’ बताया है. NPR से बात करते हुए पोग ने कहा कि इस यात्रा के दौरान अगर कुछ गलत होता है, तो आप ज्यादा कुछ कर नहीं सकते. हालांकि, उन्होंने कहा कि टाइटन के वापस लौटने के कई तरीके हैं. यह सभी काम भी करेंगे. भले ही पनडुब्बी की बिजली चली जाए और उसमें बैठे लोगों की जान चली जाए.

डेविड पोग ने आगे बताया, “मेरी यात्रा आसान नहीं थी. हमने 37 फीट नीचे यात्रा की. फिर इसमें कोई टैक्निकल समस्या आ गई. इसके बाद हमने अपनी यात्रा रद्द कर दी. मैं सदमे में चला गया था. लेकिन मैं यह बात जानता था कि इस तरह की यात्रा शायद ही कभी योजना के अनुसार पूरी होती है.

डेविड ने दावा किया है कि यात्रा शुरू करने से पहले आपको एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करना होता है. इसमें मूल रूप से आठ पैराग्राफ लिखे होते हैं. जिसमें यह लिखा होता है कि आप इस यात्रा के दौरान आप विकलांग हो सकते हैं या आपकी मौत भी हो सकती है. डेविड ने आगे कहा कि ओशनगेट एक पर्यटन कंपनी नहीं है. बल्कि एक तरह से अमीरों के लिए एडवेंचर है. और आप जानते हैं, उनके लिए जोखिम ही जीवन है.”

टाइटैनिक जहाज के मलबे तक पहुंचने की यात्रा बहुत खतरनाक

‘द सिम्पसंस’ के लेखक और पिछले साल टाइटैनिक का मलबा देखने गए माइक रीस और उनकी पत्नी ने KIRO 7 से बात करते हुए कहा, “टाइटैनिक मलबे को देखकर हम खुश या निराश नहीं हुए थे. क्योंकि मलबे तक पहुंचने के लिए भी उन्हें काफी संघर्ष से जूझना पड़ा था. हमारे पास बहुत कम समय था. क्योंकि हम समुद्र में ढाई मील नीचे थे. इसके अलावा समुद्र में एक तूफान आने वाला था, जो हमारे पनडुब्बी से टकराने वाला था.”

माइक ने आगे कहा, “मुझे पता है कि लोग बहुत चिंतित हैं. लेकिन आप जानते हैं कि यह कितना खतरनाक है. हम सभी इस तरह के प्रयोग का हिस्सा हैं. वे रिसर्च कर रहे हैं और टेक्नोलॉजी का आविष्कार कर रहे हैं. इसलिए अगर आप जाने की सोचते हैं और उस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करते हैं तो उसमें संभावित मृत्यु का जिक्र रहता है. उस वक्त आप जान रहे होते हैं कि आप क्या करने जा रहे हैं. मैंने भी जब पनडुब्बी में पैर रखा था तो मेरे दिमाग में यह चल रहा था कि इसमें मेरी जान जा सकती है.”

यह कोई डिज्नी की सवारी नहीं  

ओशनगेट कंपनी में निवेशक और 2021 में टाइटैनिक का मलबा देखने गए आरोन न्यूमैन ने TODAY से बात करते हुए कहा, “जहाज आरामदायक था लेकिन इसका आकार पर्याप्त नहीं था. 5-10 मिनट की यात्रा के बाद आप पूरी तरह से अंधेरे में होंगे. आपके पास पनडुब्बी की लाइटें हैं जिनसे आप बाहर और अंदर देख सकते हैं. पनडुब्बी की लाइटें के बिना आप 100 मीटर से ज्यादा नहीं देख सकते.

न्यूमैन ने आगे कहा कि यह कोई डिज्नी की सवारी नहीं है. हम उन जगहों पर जा रहे होते हैं जहां बहुत कम लोग गए हैं. तो जोखिम तो रहेगा ही. और हम सब यह जानते हैं कि जाने वाले सभी लोगों ने जोखिम से संबंधित अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे.

दो साल पहले टाइटैनिक का मलबा देखने गए मैक्सिकन यूट्यूबर और अभिनेता एलन एस्त्रादा ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि इस यात्रा में शामिल सभी लोग इस से वाकिफ थे कि हम क्या जोखिम उठा रहे हैं. मैं भी जब गया था तो मुझे पता था कि अगर कुछ हुआ और गहराई में जाकर पनडुब्बी को नुकसान पहुंचता है तो शायद हम नोटिस भी नहीं कर पाते. उन्होंने आगे कहा कि सच बताऊं तो पनडुब्बी की यात्रा कुछ खास नहीं है. कार्बन फाइबर और टाइटेनियम से बनी पनडुब्बी में ज्यादा जगह नहीं है.

टाइटैनिक की गहराई बुर्ज खलीफा की ऊंचाई से भी साढ़े चार गुना ज्यादा

टाइटैनिक का मलबा समुद्र की सतह से 12,500 फीट की गहराई में है.एक अनुमान के मुताबिक, टाइटैनिक का मलबा दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा की ऊंचाई से भी साढ़े चार गुना ज्यादा गहराई में है.

सूरज की रोशनी भी समुद्र के पानी में महज 660 फीट तक ही जा सकती है. स्कूबा डाइविंग के लिए लोग 130 फीट गहराई तक ही जाते हैं. समुद्र में अब तक का सबसे गहरा अंडरवाटर रेस्क्यू 1,575 फीट की गहराई में किया गया था.

खबर साभार – आजतक

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