देहरादूनः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया. इस दौरान सीएम धामी ने सेनानियों के आश्रितों को सम्मान पेंशन देने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि इसके लिए शासनादेश भी जारी किया जा चुका है. इसके साथ ही सेनानियों को मिलने वाले मानदेय 16 हजार रुपए से बढ़ाकर 20 हजार रुपए किया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 25 जून 1975 में देश में लगे आपातकाल के दौरान प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों का बड़ा योगदान रहा है. ऐसे में इनके योगदान की सभी को जानकारी हो, इसके लिए व्यवस्था बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों ने जो अपनी मांग पत्र सरकार को सौंपा है, उन मांग पत्र पर सरकार पूरी गंभीरता से काम करेगी.
#WATCH | Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami today honoured the people of the state who fought against the Emergency in 1975 at the Chief Minister's residence in Dehradun pic.twitter.com/FYSaiSgAHn
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 26, 2023
सीएम धामी ने लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान के बाद कहा कि उन्हें आपातकाल के दौरान भारत के लोकतंत्र की रक्षा करने वाले सेनानियों को सम्मानित करने का मौका मिला. उनके त्याग और बलिदान को देश कभी नहीं भूल सकता है. जब आपातकाल लगाया गया था, उस दौरान आपातकाल का विरोध सिर्फ राजनीतिक लोगों ने नहीं किया, बल्कि उस समय जनता के मन में भी आक्रोश था.
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आम जीवन में लोकतंत्र का क्या अहमियत है? उसका पता तब चलता है, जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है. ऐसा ही कुछ 25 जून 1975 को हुआ था. दरअसल, आपातकाल लगाने के बाद देश के लोगों को यही लगने लगा था कि उनका सब कुछ छीन लिया गया.
उस समय लखनऊ विश्वविद्यालय, बीएचयू और इलाहाबाद विश्वविद्यालय समेत अन्य तमाम विश्वविद्यालयों के छात्रों का संयुक्त संघर्ष मोर्चा बनाया गया. इस मोर्चा को लोकनायक जयप्रकाश नारायण, नानाजी देशमुख और अटल बिहारी वाजपेयी समेत अन्य नेताओं ने अपना समर्थन दिया. जिस संघर्ष का ही परिणाम था कि देश में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हुई.