134 करोड़ का GST फ्रॉड ! किराये के कमरे से चलाया ऐसा चक्‍कर,  बैठे-बैठे करोड़पति बन गया युवक, सरकार के खाते से उड़ा लिए 134 करोड़, पढ़ें पूरा मामला

क्राइम राज्यों से खबर

आगरा. सेंट्रल जीएसटी (CGST) और सेंट्रल एक्साइज की टीम ने आगरा में 134 करोड़ के जीएसटी फ्रॉड का खुलासा किया है. टीम ने फर्जी फर्मों के बिजनेस में शामिल एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, जो कि माल की आपूर्ति किए बिना चालान जारी करता है और दूसरों के नाम का उपयोग करके व्यक्तिगत चालू बैंक खातों के माध्यम से पैसा भेजता है.

इसके साथ ही कई फर्मों के लेटर हेड पर जारी किए गए फर्जी चालानों की प्रतियां, चेकबुक, बैंक पासबुक, रबर स्टांप और मोबाइल फोन सहित कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं. वहीं, फ्रॉड के मास्टरमाइंड अक्षय गोयल को गिरफ्तार किया है. जांच में अक्षय ने अपराध को कबूल लिया है.

क्या था मॉडस ऑपरेंडी

सीजीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आगरा के आयुक्त कार्यालय की तरफ से जारी प्रेस नोट के मुताबिक, इस रैकेट की मॉडस ऑपरेंडी (Modus Operandi) के अंतर्गर्गत प्रारंभ में परिवार के सदस्यों, कर्मर्मचारियों और दोस्तों के पैन और आधार नंबरों का उपयोग करके फर्जी फर्मों को बनाया जाता है और फिर माल की आपूर्ति/आवाजाही के बिना लेनदेन का एक जटिल नेटवर्क तैयार किया जाता है. पूरा रैकेट सर्कुलर ट्रेडिंग के इर्द-गिर्द घूमता है और अलग-अलग ग्राहकों को उनके अनुरोध के अनुसार माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) भेजा जाता है. यह मुख्य रूप से अन्य टैक्सपेयर्स को माल के किसी भी प्रकार के फिजिकल आवागमन और भुगतान के बिना, गलत तरीके से आईटीसी का लाभ उठाने और उपयोग करने की अनुमति देता है.

किराए के घर में रहता था मास्टरमाइंड

मॉडस ऑपरेंडी का मास्टरमाइंड अक्षय गोयल बेलनगंज तिकोनिया के पास भैंरो बाजार का मूल निवासी है. वह किराये पर कमला नगर में रह रहा था.

सेंट्रल जीएसटी के कमिश्नर शरद श्रीवास्तव के मुताबिक  यह रैकेट अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों के पैन कार्ड और आधार कार्ड के जरिए फर्जी फर्मों का निर्माण करता था. इसके अलावा यह लोग फर्जी बिलों की बिक्री के बदले में धनराशि लेते थे. उन्होंने बताया कि इन्होंने मिलकर लगभग 227 फर्जी फार्म बनाई थी. इसके एवज में यह 755 करोड़ से अधिक की आयरन स्क्रैप, सीमेंट, टाइल्स, मार्बल्स जैसी वस्तुओ को कवर करने वाले नकली चालान जारी किए गए थे. वही लगभग 134 करोड़ रुपये मूल्य की अवैध और अयोग्य आईटीसी जारी की.

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