फर्जी कंपनी और दस्तावेज़ बनाकर शातिरों ने ले लिया 100 करोड़ का ऋण, 6 गिरफ्तार, यूपी उत्तराखंड सहित कई राज्यों मे फैले हैं जालसाजों के तार…

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गाजियाबाद: स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की नोएडा यूनिट ने शुक्रवार को जालसाजों के ऐसे शातिर गिरोह के छह सदस्यों को पकड़ा है, जो फर्जी कंपनी बनाकर उसमें दिखाए गए 50 कर्मचारियों के नाम से 100 करोड़ का ऋण ले चुके हैं। इस रकम में से 15 करोड़ रुपये बैंकों से लेकर डकारे गए हैं जबकि बाकी 85 करोड़ का ऋण फाइनेंस और हाउसिंग कंपनियों से लिया गया। जालसाजी के मास्टरमाइंड संत कबीरनगर का निवासी अजय मेदावल हाथ नहीं आया है। गिरोह के गिरफ्तार सदस्यों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि अजय गिरोह की सदस्य प्रीति के भाई का दोस्त है। प्रीति के जरिए वह उसके परिचितों के संपर्क में आया। उसने ही प्रीति और उसके परिचितों को साथ लेकर पूरा गिरोह खड़ा किया। उसने जालसाजी के लिए प्योर टेक नाम से एक फर्जी कंपनी बनाई। इसमें 50 कर्मचारी दिखाए। इसके लिए 50 लोगों से दस्तावेज लिए। इसके बदले उन्हें पैसा मिलने का लालच दिया। दस्तावेज में नाम और पते बदलकर उनके खाते खुलवाए। छह महीने तक खातों में वेतन बताकर रकम जमा कराई। जमा कराने के कुछ दिन बाद ही रकम को निकाल लिया जाता था।

इस तरह बैंकों में कंपनी का प्रोफाइल अच्छा बन गया और बैंकों के अफसरों पर भरोसा जम गया। इसके बाद अजय ने बिल्डरों से संपर्क कर लालच दिया कि वह अपनी कंपनी पर ऋण लेकर उन्हें दिला सकता है। इसके बदले उसे स्वीकृत ऋण पर कमीशन चाहिए। बिल्डरों के राजी होने के बाद पहले एक-एक कर बैंकों और फिर फाइनेंस व हाउसिंग कंपनियों से ऋण लिया।
कर्मचारियों के नाम से खोले गए खाते बिल्डरों को सौंप दिए। ऋण की रकम कर्मचारियों के खातों में आती। उसे बिल्डर अपने खातों में ट्रांसफर करा लेते। गिरोह को स्वीकृत ऋण का 10 प्रतिशत कमीशन मिलता था। जिन लोगों को कर्मचारी दिखाया गया, उन्हें तीन प्रतिशत दिया जाता था।

एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि प्योर टेक में गिरोह के सदस्य ही प्रबंध निदेशक, प्रबंधक और सुपरवाइजर बने हुए थे। गिरफ्तार सदस्यों में हरिकिशन, उसका बड़ा भाई विष्णु, ऋषभ चौबे, उसकी मां प्रीति, संजीव कुमार और सूर्या हैं। हरीकिशन ऋषभ संजीव ने एक साथ पढ़ाई की है और एक साथ कई कंपनियों के कॉल सेंटरों में काम किया है। रातोंरात अमीर बनने की चाहत में जालसाजी का रास्ता अख्तियार किया। गिरोह ने दिल्ली-एनसीआर, बंगलूरू और उत्तराखंड के बैंकों और कंपनियों से ऋण लिया है।


एक मकान पर कई बैंकों से लिया नौ करोड़ का ऋण

इस गिरोह की जालसाजी का खुलासा कविनगर के एक ही मकान पर अलग-अलग बैंकों से नौ करोड़ का ऋण लेने पर हुआ। नौ करोड़ में से 73 लाख आईसीआईसीआई से लिया गया था। बैंक अधिकारियों को बाद में पता चला कि इस मकान पर पहले से कई बैंकों से ऋण लिया हुआ है। बैंक के अधिकारी दीपक मल्होत्रा ने कविनगर थाने में हरीकिशन, लाल बहादुर सिंह, मिथलेश सिंह, पल्लवी यादव, गुरपाल सिंह, बृजराज सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच की तो पूरे मामले से पर्दा उठ गया। नौ करोड़ का ऋण पहले उन कर्मचारियों के खाते में आया जो बाद में एफआईआर में नामजद कराए गए। उनके खाते से पूरी रकम बिल्डरों के खाते में ट्रांसफर कराई गई। पुलिस का कहना है कि बिल्डरों के खिलाफ भी जांच चल रही है। साक्ष्य जुटाकर उन्हें आरोपी बनाया जाएगा।

बिल्डरों पर भी होगी कार्रवाई

एएसपी राजकुमार मिश्रा का कहना है कि फर्जी कंपनी के कर्मचारियों के नाम पर ऋण लेने वाले बिल्डरों की पहचान की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों से कई के बारे में पता चला है। अजय के पकड़े जाने पर बिल्डरों को भी आरोपी बनाया जाएगा।

गिरफ्तार जालसाज

हरीकिशन : 23 साल का है। केरल के कुल्लम का रहने वाला है। फिलहाल इंदिरापुरम के न्यायखंड-2 में रह रहा है। बीकॉम पास है। नगर कोतवाली और कविनगर में धोखाधड़ी के दो केस दर्ज हैं। नगर कोतवाली में दर्ज मामले में जेल जा चुका है।

विष्णु : हरीकिशन का बड़ा भाई है। होटल मेनेजमेंट की पढ़ाई की है। एचडीएफसी जनरल इंश्योरेंस कंपनी में एग्जीक्यूटिव पद पर कार्यरत है। नगर कोतवाली और कविनगर में धोखाधड़ी के दो केस दर्ज हैं। नगर कोतवाली में दर्ज मामले में जेल जा चुका है।

प्रीति चौबे : इंदिरापुरम के शक्तिखंड-2 की रहने वाली है। ऋण लेने के लिए बनाई गई फर्जी कंपनी में निदेशक दिखाया गया था।

ऋषभ चौबे : 24 साल का है। 12वीं पास है। मां प्रीति के साथ इंदिरापुरम के शक्तिखंड-2 में रहता है। ऋषभ संजीव और हरीकिशन का सहपाठी था।

सूर्या करदोंग : वसुंधरा के इस्टर्न अपार्टमेंट का रहने वाला है। कॉल सेंटर में सूर्या ऋषभ व उसके साथियों से मिला था।

संजीव कुमार : 24 साल का है। इंदिरापुरम के न्यायखंड-1 का रहने वाला है। ऋषभ और हरी किशन का सहपाठी था। एचसीएल के बीपीओ में कस्टमर रिप्रिजेंटेटिव के पद पर काम कर रहा था।

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