न्यूज़ डेस्क: इस शख्स ने उस अनुभव को साझा किया है, जिसे लोग किसी चमत्कार से कम नहीं मानते. ये 60 साल के शिव ग्रेवाल हैं और ब्रिटेन में स्टेज एक्टर के तौर पर काम करते हैं. इनकी मौत हो गई थी. मगर फिर 7 मिनट बाद वो दोबारा जिंदा हो गए. इस दौरान वो कहां थे, क्या कर रहे थे. इस बारे में उन्होंने बताया है. इस तरह के अनुभवों को आफ्टर लाइफ एक्सपीरियंस या NDE (नियर डेथ एक्सपीरियंस) भी कहा जाता है. शिव ने अपनी इस कहानी के बारे में विस्तार से बताया है. उन्हें साल 2013 में 9 फरवरी को कार्डियक अरेस्ट आया था. उन्होंने लंदन में अपने घर के पास ही पत्नी एलिसन के साथ लंच किया था. जिसके बाद उन्हें कार्डियक अरेस्ट आ गया. उनकी पत्नी एलिसन ने एंबुलेंस को फोन किया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. शिव की मौत हो गई थी. उन्हें वक्त पर इलाज नहीं मिल सका. हालांकि कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. तब किसी को उम्मीद नहीं थी कि वो दोबारा जीवित हो जाएंगे.
मौत के बाद कैसा महसूस हुआ?
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट में पीए रियल लाइफ साइट के हवाले से बताया गया है, शिव ने कहा, ‘मुझे किसी तरह पता चल गया था कि मैं मर चुका हूं. मुझे महसूस हुआ कि चीजें मेरे शरीर से अलग हो गई हैं. ये ऐसा था जैसे मैं शून्य में हूं लेकिन भावनाओं और संवेदनाओं को महसूस कर पा रहा था. मैं शरीर में नहीं था. मुझे लगता है कि यह कुछ-कुछ पानी में तैरने जैसा था, आप भारहीन महसूस करते हैं और फिजिकल (भौतिक) दुनिया से अलग हो जाते हैं. एक समय पर तो मैं चंद्रमा पर यात्रा कर रहा था और उल्कापिंड और संपूर्ण अंतरिक्ष को देख पा रहा था.’
शिव ने कहा कि, ‘मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे संभावनाओं, विभिन्न जीवन और पुनर्जन्मों का एक पूरा सेट मेरे लिए पेश किया जा रहा हो. मैं वो नहीं चाहता था. मैंने साफ कह दिया था कि मैं अपने शरीर में वापस लौटना चाहता हूं, अपने वक्त में, अपनी पत्नी के पास और जीना चाहता हूं.’ बाद में एंबुलेंस उनके घर पहुंची और डॉक्टर उनके दिल की धड़कनों को दोबारा शुरू करने में कामियाब रहे. फिर उनकी सर्जरी की गई. उनका कहना है कि मौत का सामना करने के बाद अब जीवन के प्रति उनकी धारणा में बदलाव आया है.
एग्जीबिशन में लोगों को बताया अनुभव
शिव ने अपने इस अनुभव को और बेहतर तरीके से लोगों को बताने के लिए कला का सहारा लिया है. उन्होंने अपनी पेंटिंग्स का एग्जीबिशन कराया. रीबूट टाइटल के साथ आयोजित इस एग्जीबिशन में उन्होंने कहा, ‘मुझे वो सब कुछ याद है, जो तब हुआ था, जब मेरा दिल धड़कना बंद कर चुका था और मैंने इसे कला के जरिए दिखाने की कोशिश की है.’ शिव ने कहा कि वो वैज्ञानिक विचारधारा वाले इंसान हैं. लेकिन इस अनुभव के बाद मौत के बाद के जीवन (आफ्टर लाइफ) को लेकर उनका विश्वास और मजबूत हो गया है.
वो कहते हैं, ‘मैं इसी वजह से मौत से कम डरता हूं, लेकिन साथ ही मैं अधिक भयभीत भी हूं, क्योंकि मुझे एहसास हुआ है कि जीवन में मेरे पास जो कुछ भी है वो सब कितना कीमती है. मैं यहां आने के लिए आभारी हूं. जीवन के प्रति मेरी इच्छा को बढ़ावा मिला है. मैंने हमेशा सोचा है कि मनुष्य के विकास और बेहतरी के लिए उसका दयालु रहना आवश्यक है, लेकिन इस अनुभव के बाद अब मैं इसे अपने अंदर बहुत गहराई से महसूस करता हूं, ये एक मौलिक सत्य की तरह है.’