पूर्णिया: बिहार के एक अस्पताल में एक विचित्र बच्ची ने जन्म लिया. बच्ची सामान्य शिशुओं से अलग है, लिहाजा लोग उसे एलियन उपनाम से संबोधित कर रहे हैं. उसके जन्म की खबर फैलते ही देखने के लिए लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. इसको लेकर स्वास्थ्य केंद्र की जीएनएम का कहना है कि नवजात के शरीर के ऊपरी भाग की चमड़ी कई जगह कटी-कटी सी है. आंख पर लाल घाव है. नाक पूरी तरह से दबी हुई है.
बिहार में पूर्णिया जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैसा में शनिवार दोपहर एक विचित्र बच्ची ने जन्म लिया. वो सामान्य शिशुओं से अलग है, लिहाजा लोग उसे एलियन उपनाम से संबोधित कर रहे हैं. बच्ची के जन्म की खबर फैलते ही उसे देखने के लिए लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. जैसा कि हम जानते हैं कि ‘एलियन’ दूसरे ग्रह का निवासी या परग्रहवासी होता है. मतलब जो प्राणी पृथ्वी से बाहर रहते हैं, वे हमारे लिए एलियन हैं और पृथ्वी के जीव-जंतु दूसरे ग्रहों के प्राणियों के लिए एलियन हैं.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जीएनएम अभिलाषा कुमारी बताती हैं कि शनिवार को करीब साढ़े ग्यारह बजे अमौर प्रखंड के चौका निवासी अशफाक अपनी गर्भवती पत्नी रूबेदा के साथ अस्पताल पहुंचा और उसे भर्ती कराया. करीब डेढ़ बजे महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया.
बच्ची को देखने वालों की उमड़ी भीड़
उसका शारीरिक वजन तो ठीक है पर शरीर में कई विकार हैं. शरीर के ऊपरी भाग की चमड़ी कई जगह कटी-कटी सी है. वहीं आंख पर लाल घाव है. नाक पूरी तरह से दबी हुई है. असमान्य इस नवजात के बारे में सोशल मीडिया में जानकारी फैलते ही देखने वालों की भीड़ उमड़ने लगी.
‘यह ‘कंजेटाईनल एनोमौली’ का मामला‘
वहीं डॉक्टर ने बच्चे की स्थिति को देखते हुए दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया गया है. इस बाबत सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी कहते हैं कि यह ‘कंजेटाईनल एनोमौली’ का मामला है. यह जन्मजात विकृति है और इस विकृति की वजह स्पष्ट नहीं है. ऐसे बच्चे अमूमन मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं. रेफर होकर राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्ची के पहुंचने पर उसे हर संभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.
‘इस वजह से चेहरा कुरूप लगने लगता है‘
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रूपेश कुमार के अनुसार, इस तरह के बच्चे दुर्लभ अनुवांशिक विकार (हार्लेक्विन इक्थियोसिस) से पीड़ित होते हैं. इस बीमारी में शरीर में तेल बनाने वाली ग्रंथियां नहीं होने से त्वचा फटने लगती है. आंखों की पलके पलटने की वजह से चेहरा कुरूप लगने लगता है.
डॉ. रूपेश कुमार ने बताया कि पूरी दुनिया में अब तक इस बीमारी के लगभग तीन सौ मामले सामने आए हैं. ज्यादातर मामलों में जन्म के कुछ घंटे बाद ही बच्चे की मौत हो जाती है. अगर बच्चा जिंदा भी रह गया तो ज्यादा दिन जीने की संभावना नहीं रहती है.