नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन में जी20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज को लेकर निमंत्रण भेजा गया है, निमंत्रण पत्र प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया के जगह’प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ लिखा हुआ है। जिसे लेकर विपक्ष गठबंधन I.N.D.I.A व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेता भड़क गए हैं और बीजेपी पर हमला बोला है। केजरीवाल ने आज प्रेस कांफ्रेस के दौरान कहा कि अगर किसी पार्टी का गठबंधन ‘INDIA’ बन जाता है तो वे (भाजपा) देश का नाम बदल देंगे? देश 140 करोड़ लोगों का है, किसी एक पार्टी का नहीं। केजरीवाल ने आगे कहा कि अगर कल INDIA गठबंधन का नाम बदलकर भारत रख लिया जाता तो क्या वे (भाजपा) भारत का नाम भी बदल देंगे? भाजपा के वोट कम ना हो जाएं इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं। यह देश के साथ गद्दारी है।
INDIA गठबंधन से ये लोग इतना बौखलाए हुए हैं कि देश का नाम तक बदल देंगे? अगर कल हमने अपने गठबंधन का नाम “भारत” रख लिया तो क्या “भारत” नाम भी बदल देंगे? pic.twitter.com/LS8ECPlNmF
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 5, 2023
कांग्रेस सांसद ने भी किए सवाल
इससे पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी ‘भारत’ देश के नाम को लेकर सवाल किए। जयराम रमेश का कहा कि G20 बैठक के लिए जो न्यौता भेजा गया है, उसमें ‘President of India’ की जगह ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया है। जयराम रमेश ने ट्वीट करके कहा कि पहले ऐसे राजकीय निमंत्रण पर ‘प्रेसीडेंट और इंडिया’ लिखा होता था। यानी इशारों में अब ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या देश का नाम बदलने वाला है? क्या भारत से हट जाएगा INDIA?
So the news is indeed true.
Rashtrapati Bhawan has sent out an invite for a G20 dinner on Sept 9th in the name of 'President of Bharat' instead of the usual 'President of India'.
Now, Article 1 in the Constitution can read: “Bharat, that was India, shall be a Union of States.”…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 5, 2023
“इंडिया, दैट इज भारत”
कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि पीएम मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ जैसे नाम दिए थे। स्किल इंडिया’, ‘खेलो इंडिया’…वे (भाजपा) ‘इंडिया’ शब्द से डरते हैं, संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है ‘इंडिया, दैट इज भारत’…यह नाम (इंडिया) कैसे हटाया जा सकता है। ..? वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी कहा कि “हमारे संविधान में, ‘भारत का संविधान’ लिखा हुआ है। इंडिया एक स्वीकार किया हुआ शब्द है, मुझे नहीं लगता कि इसकी आवश्यकता है।”