देहरादून: बागेश्वर उपचुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार को बीजेपी प्रत्याशी पार्वती दास से 2810 वोटों से हराया है. बीजेपी जहां बागेश्वर उपचुनाव में जीत का जश्न मना रही है तो वहीं कांग्रेस खेमे में मायूसी छाई हुई है. कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार की हार पर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा का बयान आया है. उन्होंने बागेश्वर उपचुनाव के परिणाम को सहानुभुति की जीत और मुद्दों की हार बताया है.कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा का आरोप है कि बागेश्वर उपचुनाव को जीतने के लिए बीजेपी ने शुरू से ही सत्ता का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया था. इस मामले की शिकायत कांग्रेस ने चुनाव आयोग से भी की थी, जिस पर जांच जारी है. करण माहरा ने कहा कि कांग्रेस ने अंकिता भंडारी हत्याकांड, यूकेएसएससी पेपर लीक और केदारनाथ में सोने की परत का मामला, अग्निपथ योजना और बेरोजगारों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था, बावजूद उसके सहानुभूति की जीत हुई हैं.
करण माहरा का कहना है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता आने वाले चुनाव में भी एकजुट होकर मेहनत करते रहेंगे, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी का करीब 20 प्रतिशत वोट बढ़ा है और जागरूकता बढ़ी है. उन्होंने कहा कि सहानुभूति की वजह से बीजेपी बागेश्वर उप चुनाव को अपने पक्ष में रखने में कामयाब रही है, लेकिन भाजपा अपने पुराने वोट पर ही सिमट का रह गई है, जबकि कांग्रेस पिछले चुनाव की तुलना में इस बार 10 हजार वोट अधिक लाई है.
1257 नोटा पड़े:
बागेश्वर उपचुनाव में सबसे बड़ी बात यह भी रही कि नोटा पर 1200 से अधिक वोट पड़े हैं, जो कि अपने आप में चिंतनीय विषय है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने इस मसले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ये सिस्टम के खिलाफ वोट है. यदि यह वोट कांग्रेस को पड़े होते तो निश्चित रूप से बहुत बड़ा फर्क पड़ता. नोटा की संख्या देखकर कहा जा सकता है कि युवा सरकार से खिन्न चल रहा है.