नई दिल्ली: दिल्ली में शनिवार को जहां भारत विश्व को अपने परम वैभव के दर्शन करा रहा था, वहीं कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले के छोटे से गांव हुड़ेती की रहने वाली दो सगी बहनों ने प्रसिद्ध झोड़े खोल दे माता खोल भवानी धरम किवाड़ा के माध्यम से उत्तराखंड की लोक संस्कृति का विश्व पटल तक पहुंचाया। दोनों बहनों को उत्तराखंड की स्वरागिनी भी कहते हैं।
सोशल मीडिया पर उप्रेती बहनों के नाम से प्रख्यात ज्योति उप्रेती सती और नीरजा उप्रेती ने दिल्ली में जी-20 के शिखर सम्मेलन के दौरान आकाशवाणी सभागार में कई राष्ट्राध्यक्षों के सामने प्रदेश की तीनों बोलियों कुमाऊंनी, गढ़वाली और जौनसारी में लोक गीत गए।
उन्होंने देवी भवानी दैंणि होया, सिद्धि करिया गणेश, पंचदेव रक्षा करिया ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गोरी गंगा भागीरथी को क्ये भलो रिवाड़ा भी गाया। उप्रेती बहनों ने देवभूमि के चार धाम, पंचकेदार, पंचाचूली, नंदादेवी, भगवती बाराही, सुरकंडा देवी, राजराजेश्वरी, माता भवानी को याद किया। सुर कोकिला लता मंगेशकर के गाए गीत छ्विं लगै ग्ये, मन भरमै ग्ये, म्येरि सुध बुध ख्वे ग्ये, सुणि तेरी बांसुरी सुर मा सुरि… को भी उन्होंने इस मंच पर गाया। जौनसार क्षेत्र के महासू देवता को भी याद किया। प्रदेश में बहने वाली धौलीगंगा, गोरीगंगा नदी घाटियों की महत्ता का भी बखान किया।
दोनों गजब की कलाकार
ज्योति एमए (संगीत, हिंदी) और संगीत विशारद हैं। वह 15 वर्ष तक गायन के साथ ही संगीत अध्यापिका भी रह चुकी हैं। वह ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन की एक श्रेणीबद्ध गायिका हैं। छोटी बहन नीरजा फिजियोथेरेपिस्ट भी हैं। वह ज़ी टीवी पर प्रसारित होने वाले भारत के पहले पौराणिक रियलिटी शो स्वर्ण स्वर्ण भारत की प्रतियोगी भी रह चुकी हैं।
देवभूमि पर गर्व महसूस करने का संदेश
उप्रेती बहनों का कहना था कि देवभूमि उत्तराखंड में जन्म लेने के लिए देवता भी तरसते हैं। पहाड़ की ठंडी हवा, ठंडे पानी को दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्षों के सामने पहुंचाया। उनका कहना है कि हमारी संस्कृति हमारा सम्मान है। अपनी विराट संस्कृति और इसकी अनमोल विरासत और परंपराओं पर वह गर्व की अनुभूति करती हैं।