देहरादून: उत्तराखंड में बीजेपी सरकार में इस समय सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. इसकी वजह एक नहीं बल्कि कई हैं, जिसमें सबसे बड़ी वजह स्मार्ट सिटी के कामों की गुणवत्ता है और दूसरी बड़ी वजह उत्तराखंड में चल रही कमीशन बाजी है. ये दो वजह की बात विपक्ष नहीं बल्कि बीजेपी के दो पूर्व सीएम बोल रहे हैं. इन पूर्व सीएम के बयानों से उत्तराखंड बीजेपी सरकार में खलबली मची हुई है. बता दें, देहरादून के परेड मैदान में बना मंच इन दिनों राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है. वह इसलिए, क्योंकि यह मंच स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत बनाया गया था और इसी स्मार्ट सिटी परियोजना के कामों की गुणवत्ता पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. बतौर त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में टेंडर से लेकर वर्क ऑर्डर जारी हुआ. अब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही योजना पर सबसे पहले हमला बोला है.
उत्तराखंड में कमीशनखोरी सबसे ज्यादा
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर अपनी ही सरकार को कटघरे पर खड़ा कर दिया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बार-बार स्मार्ट सिटी के सीईओ बदले गए, जो ठीक नहीं है. स्मार्ट सिटी के कार्यों की जांच होनी चाहिए और मंच को तोड़ना गलत है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ स्मार्ट सिटी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने तो यहां तक कह दिया कि राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में कमीशनखोरी सबसे ज्यादा बढ़ी है. हर काम में कमीशन लिया जा रहा है, जबकि उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बीजेपी ने राज किया है.
2017 में शुरू हुआ था स्मार्ट सिटी योजना का काम
बता दें, साल 2017 में स्मार्ट सिटी योजना का काम शुरू हुआ. साल 2022 तक स्मार्ट सिटी के सभी काम पूरे करने का लक्ष्य लिया गया, लेकिन 2022 तक यह काम पूरे नहीं हो पाए. अब इस लक्ष्य को साल 2023 तक कर दिया गया है. स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर राजधानी में अव्यवस्था अक्सर देखी जा सकती है. बीजेपी विधायकों ने कई बार स्मार्ट सिटी को लेकर नाराजगी भी व्यक्त की. कई बार नेताओं और मंत्रियों ने दौरे किए, लेकिन काम की गति और गुणवत्ता नहीं सुधर सकी.
बीजेपी विधायक बोले- सिर्फ पैसे की बर्बादी की जा रही
देहरादून की राजपुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक खजान दास का कहना है कि वह शुरू से इस बात को कह रहे हैं कि स्मार्ट सिटी में कोई कम नहीं हो रहा है. सिर्फ पैसे की बर्बादी हो रही है. पूरे शहर को स्मार्ट सिटी के नाम पर खुर्द-बुर्द कर दिया गया है. देहरादून की रायपुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक उमेश शर्मा ने तो तल्ख तेवर तक दिखा दिए हैं. उमेश शर्मा का कहना है की 2002 में हाईकोर्ट ने जो निर्देश दिए थे कि परेड ग्राउंड की खाली जगह पर कोई निर्माण नहीं होगा. उसका भी सीधे तौर पर यह उल्लंघन है. उमेश शर्मा का कहना है कि जब त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री थे, तब तो उन्होंने कोई समीक्षा बैठक तक नहीं की.
कांग्रेस ले रही चुटकी
वहीं बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधायकों के स्मार्ट सिटी को लेकर बयानों पर कांग्रेस भी चुटकी ले रही है. कांग्रेस का सीधे तौर पर कहना है कि हम लगातार कह रहे थे कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में सिर्फ पैसे की बर्बादी हो रही है. कोई कार्य इसमें नहीं हुआ है. अब पूर्व मुख्यमंत्री के बयान ने यह साबित कर दिया है कि खुद बीजेपी के विधायक भी मानते हैं कि कोई काम नहीं हुआ है.
2017 में शुरू हुआ काम.
2022 में पूरा होने का लक्ष्य.
अब लक्ष्य 2023 किया गया.
1,537 करोड़ रुपए की परियोजना.
500 करोड़ रुपए केंद्र सरकार देगी.
500 करोड़ राज्य सरकार वहन करेगी.
537 करोड़ रुपए पीपीपी मोड से जुटाने हैं.
40 फीसदी काम अब भी अधूरा.
ये परियोजनाएं हैं अधूरी
पीपीपी मोड में स्मार्ट पोल की स्थापना, स्मार्ट ड्रेनेज सिस्टम, परेड मैदान का सौंदर्यीकरण, स्मार्ट सीवरेज सिस्टम, ग्रीन बिल्डिंग, ट्री प्लांटेशन, सीवर लाइन ऑग्मेंटेशन प्रोजेक्ट.