देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को जीएमएस रोड स्थित वाडिया हिमालयन भूविज्ञान संस्थान में फेडरेशन ऑफ इण्डियन जियो साइंसेज एसोसिएशन के तृतीय त्रैवार्षिक सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया. यह सम्मेलन ‘संवहनीय विकास हेतु हिमालय भूविज्ञान’ पर आधारित है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने फेडरेशन ऑफ इण्डियन जियो साइंसेज एसोसिएशन की सतत विकास के लिए भविष्य में किये जाने वाले प्रयासों पर आधारित पुस्तक एवं वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ कालाचंद सांई द्वारा लिखी गई पुस्तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऑफ जियो साइंटिस्ट का विमोचन भी किया. मुख्यमंत्री ने कहा देवभूमि में आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में देशभर से वैज्ञानिक एकत्र हुए हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस सम्मलेन में जो विचार मंथन किया जाएगा उससे सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के लिए अमृत जरूर निकलेगा. उन्होंने कहा हिमालय और इसका भू-वैज्ञानिक महत्व देश और दुनिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसका गहराई से अध्ययन किया जाए तो हम पाते हैं कि हिमालय का भूविज्ञान हमारे विकास का सतत माध्यम भी है. उत्तराखंड प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है. हमारी प्राकृतिक संपदा एवं जैव विविधता पूरे देश और दुनिया में विशिष्ट है. इन सबके साथ हिमालय हमारे प्रदेश की शोभा बढ़ा रहा है. देश की जलवायु की गुणवत्ता को सुधारने में और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में हिमालय का विशेष महत्व है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत हर क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है. दुनिया में भारत का मान, सम्मान एवं स्वाभिमान बढ़ा है. ज्ञान, विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में अनेक कार्य हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साइंस एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है. देश प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग कर वैकल्पिक ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों के विकास में कार्य कर रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा इकोनॉमी और इकोलॉजी में संतुलन बनाये रखने के लिए राज्य सरकार कार्य कर रही है. हाइड्रो पावर की दृष्टि से भी हिमालय हमारे लिए विशेष महत्व रखता है. उत्तराखण्ड में हाइड्रो पावर एवं पर्यटन के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं. मुख्यमंत्री ने कहा उत्तराखण्ड प्राकृतिक आपदाओं एवं भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है. प्राकृतिक आपदाओं से जानमाल का कम से कम नुकसान हो, इसके लिए क्या प्रभावी प्रयास हो सकते हैं. इस सम्मेलन में इस विषय पर भी जरूर मंथन किया जाए.
उन्होंने आशा व्यक्त की कि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान हिमालय पर्वत के भूविज्ञान को समझने और हिमालय के आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के हित में अनुसंधानों को बढ़ावा देकर प्राकृतिक जोखिमों को कम करने के लिये निरंतर इसी प्रकार कार्य करता रहेगा.