कानपुर: यूपी के कानपुर से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां जालौन में एक 13 साल के बच्चे की खेल-खेल में जान चली गई। एक शरारत ने उसकी जान ले ली। दरअसल, वह आत्महत्या करने का नाटक कर रहा था। उसे यह सब मजाक लग रहा था। अचानक वह स्टूल पर से फिसल गया और देखते ही देखते उसकी जान चली गई। जब वह फंदे पर झूल रहा था तो उसके तीनों छोटे-भाई बहनों को लगा कि वह अभी भी मजाक ही कर रहा है। तभी उन्होंने देखा कि उसके मुंह और नाक से खून निकलने लगा। इसके बाद वे शोर मचाने लगा। शोर सुनकर मां की नींद खुली। उसने अपने बेटे को बचाने की बहुत कोशिश की मगर उसकी जान चली गई। दरअसल, मृतक बच्चे की मां देख नहीं सकती है। वह जन्म से देख नहीं पाती हैं। इस तरह उसके सामने बेटे की जान चली गई। अब वह खुद को कोस रही है कि अगर वह देख सकती तो अपने बेटे को बचा लेती। वह रस्सी काटने के लिए चाकू खोजती रही मगर उसे नहीं मिला। इसके बाद वह मदद के लिए पड़ोसियों के पास भागी मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। घटना उरई के कांशीराम कॉलोनी में हुआ।
खुद को कोस रही मां
दरअसल, 50 साल की संगीता रविवार को उरई शहर में अपने घर पर बेटे जस की मौत के बाद अपने भाग्य को कोस रही थी। वह शुरू से ही देख नहीं सकती हैं। उन्होंने कहा, “अगर भगवान ने मेरी दृष्टि नहीं छीनी होती तो मैं अपने बच्चे को बचा लेती। वह मेरे सामने मर गया और मैं कुछ नहीं कर सकी।” यह हादसा तब हुआ जब पांचवीं कक्षा का छात्र जस अपने घर पर भाई-बहन यश (9), महक (7) और आस्था (5) के साथ खेल रहा था।
जस के मुंह और नाक से निकलने लगा खून
संगीता दूसरे कमरे में सो रही थी, जबकि उसका पति खेम चंद्र (54) स्थानीय अनाज मंडी में काम पर गया हुआ था। बच्चों के खेल में निर्णायक मोड़ तब आया जब जस ने नकली आत्महत्या का प्रयास किया और जिस स्टूल पर वह खड़ा था वह फिसलकर दूर जा गिरा। पुलिस ने कहा कि मृतक बच्चे के छोटे भाई-बहन यश, महक और आस्था ने कुछ देर तक सोचा कि जस अभी भी नाटक कर रहा है। इसके बाद भाई-बहनों ने देखा कि जस के मुंह और नाक से खून निकल रहा है। उसका शरीर खिड़की की पट्टी से बंधी रस्सी से लटका हुआ था।
मां चाहकर भी बच्चे को नहीं बचा पाई
बच्चों ने शोर मचाया। वे चिल्लाने लगे, जिससे संगीता की नींद खुल गई। वह उसे बचाने के लिए दौड़ी लेकिन देख नहीं पाने के कारण वह बेटे को बचा नहीं पाई। उसने जस के फंदे को काटने के लिए चाकू या दरांती की बहुत तलाश की लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। जब तक संगीता अपने पड़ोसियों को सचेत कर पाती, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पड़ोसी कुछ मिनट बाद पहुंचे और गांठ खोलकर जस को नजदीकी अस्पताल ले गए। वहां पहुंचने पर डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बड़े बेटे की जिम्मेदारी निभाता था जस
मृतक बच्चे के पिता खेम चंद्र भी घटना के बारे में जानकर स्तब्ध रह गए। उन्होंने कहा, ”जस अक्सर अपने भाई-बहनों के साथ खेलता था लेकिन मुझे नहीं पता था कि इस बार वह इतना घातक खेल खेलेगा।” स्थानीय उरई पुलिस चौकी के प्रभारी मोहम्मद आरिफ के अनुसार, जिन्होंने परिवार के पड़ोसियों और अन्य लोगों से बात की। जस सबसे बड़े बच्चे के रूप में घर के कामों में मां की मदद करता था। अधिकारी ने कहा, “जब खेम चंद्र काम पर जाता था तो जस स्कूल से आने के बाद घर का ज्यादातर काम करता था क्योंकि उसकी मां देख नहीं पाती थी।” परिजन शुरू में पोस्टमार्टम की अनुमति देने के लिए अनिच्छुक थे लेकिन समझाने के बाद सहमत हो गए। फिलहाल मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है।