देहरादून: न्याय विभाग उत्तराखंड राज्य बनाम उमेश कुमार शर्मा और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट से विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) वापस नहीं लेगा। न्याय विभाग ने एसएलपी मामले में कदम पीछे खींच लिए हैं। विभाग ने एक आदेश जारी कर याचिका वापस लेने के फैसले को रद्द कर दिया है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में सरकार की एडवोकेट ऑन रिकार्ड (एओआर) वंशजा शुक्ला को भी सूचना भेज दी गई है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दी गई अर्जी को वापस लेने के संबंध में आवेदन भी कर दिया गया है। 22 नवंबर को इस पर सुनवाई होगी। 2020 में हाईकोर्ट नैनीताल ने उमेश कुमार के खिलाफ दर्ज राजद्रोह का मुकदमा निरस्त करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। तब इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री और हरेंद्र सिंह रावत ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी। ताजा घटनाक्रम में उपसचिव (न्याय) अखिलेश मिश्रा के माध्यम से जारी पत्र में जिक्र है कि अपर सचिव न्याय के 26 सितंबर 2022 में प्रेषित पत्र के तहत उत्तराखंड राज्य बनाम उमेश कुमार शर्मा और अन्य के मामले में याचिका वापस लेने का निर्णय लिया था।
अब जनहित में इसे रद्द करने का निर्णय लिया गया है। एओआर को एसएलपी के मामले में पूर्व की यथास्थिति के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। यानी, सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी वापस लेने की जो अर्जी दी गई है, उसे वापस ले लिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि एसएलपी वापस लेने के लिए दी गई अर्जी को लेकर त्रिवेंद्र ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।
सुप्रीम कोर्ट से कोई एसएलपी वापस नहीं हुई : भाजपा
एसएलपी मामले में कांग्रेस के वार पर पलटवार करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कोई एसएलपी वापस नहीं ली है। उन्होंने कहा कि पार्टी पूरी तरह से एकजुट है और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ खड़ी है। त्रिवेंद्र सिंह रावत पार्टी के सम्मानित और वरिष्ठ नेता हैं। लिहाजा कांग्रेस को किसी मामले में अन्यथा नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि एसएलपी के मामले में अधिकृत जानकारी सरकार ही दे सकती है। कांग्रेस को तिल का ताड़ बनाने और दुष्प्रचार से बाज आना चाहिए।
अब तक तीन-चार सीएम ब्लैकमेलर के चंगुल में आ चुके हैं : हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की फेसबुक पर डाली गई एक पोस्ट राजनीतिक हलकों में फिर से सनसनी फैला रही है। उनके अनुसार, उत्तराखंड एक छोटा राज्य है, यहां अस्थिरता भी जल्दी आती है। अब तक तीन-चार मुख्यमंत्री प्रत्यक्ष रूप से ब्लैकमेलर के चंगुल में आ चुके हैं। उनके अनुसार, यदि राज्य में पत्रकारिता की आड़ में ब्लैकमेलर राजनीतिक संरक्षण पाएंगे तो इस राज्य का भगवान ही मालिक है।
उत्तराखंड छोटा राज्य है, अस्थिरता जल्दी भी आती है और यदि उस राज्य में पत्रकारिता की आड़ में ब्लैकमेलर राजनीतिक संरक्षण पाएंगे तो इस राज्य का भगवान मालिक है। 3-3, 4-4 मुख्यमंत्री..https://t.co/BuNE6nCNkq..मैं उस व्यक्ति के साथ खड़ा रहूंगा।#Uttarakhand pic.twitter.com/oOYv8Bmsvs
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) November 19, 2022
हरीश रावत अकसर अपने बेबाक बयानों से चौंकाते हैं। इस बार भी उन्होंने बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर से इशारा किया है। हरीश रावत ने राज्य के मुख्यमंत्रियों के कथित ब्लैकमेलर के चंगुल में फंसे होने की बात से चौंका दिया है, जबकि वह खुद पूर्व में एक स्टिंग का शिकार हो चुके हैं। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा भी है, हमने भी कुछ गलतियां की हैं, उत्तराखंड ने उसका दंड भी दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य को ऐसे लोगों को पहचाने की जरूरत है, जो महज ब्लैकमेलिंग के लिए उत्तराखंड में आए हैं। आज अकूत धन अर्जित कर रहे हैं। हरीश ने कहा कि यदि ऐसे व्यक्ति का कोई भी ब्लैकमेलिंग का शिकार हुआ है तो वह उसके साथ खड़े हैं।