प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से एक महिला के शव को ले जाए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह वीडियो सामाजिक ताने-बाने पर सवाल खड़े कर रहा है। अस्पताल से शवों को घर तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस सुविधा तो मिलती है, लेकिन अगर कोई गरीब परिवार के व्यक्ति पर घर पर मौत हो जाए, शव यात्रा के साधन न हों, तो परिजन क्या करें? महिला के शव को कंधे पर लादकर पति और पिता जिस प्रकार से सड़क पर ले जाते इस वीडियो में दिख रहे हैं, वह समाज के उस स्याह सच को सामने ला रहा है। यह वीडियो दिल को दहलाने वाला है। महिला की शुक्रवार को बीमारी के कारण मृत्यु हो गई।
इस्राइल की चिंता करने वाले जरा इधर भी देख लो।
प्रयागराज में पत्तल बेचकर गुजारा करने वाले परिवार के पास अंतिम संस्कार के पैसे न थे।तो बांस से बाँध कर अंतिम संस्कार करने को ले गए #pryagraj #allahabad pic.twitter.com/Tsxl8MtX4E— Gaurav Yadav (@ygauravyadav) October 14, 2023
मामला प्रयागराज के झूंसी के नीबी गांव का है। मजदूर की पत्नी की मौत के बाद न तो अर्थी साजने के पैसे थे। न ही चार कंधे। ऐसे में बुजुर्ग पिता और पति ने अंतिम संस्कार के लिए महिला की लाश को गठरी में बांधा। एक बांस के सहारे गठरी को टांगा। श्मशान घाट की तरफ निकल गए। लोगों ने जब एक महिला की लाश को यूं गठरी में बांधकर ले जाते देखा तो हैरान रह गए। थकते दोनों जब गठरी को रखते दिखे तो लोगों ने ऐसे शव को ले जाने का कारण पूछा। दोनों ने जब पूरा मामला बताया तो हर कोई सिहर उठा।
राहगीरों ने की मदद
प्रयागराज में गंगापार झूंसी में बांस में कपड़ा बांधकर एक महिला का शव ले जा रहे उसके पति और पिता की पुलिस और राहगीरों ने मदद की। झूंसी के थाना प्रभारी उपेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि नीबी गांव में मुसहर जाति के लोग पत्तल बेचकर जीवन यापन करते हैं। उन्हीं के समुदाय के नखड़ू की पत्नी अनीता (26) काफी दिनों से बीमार थी। शुक्रवार को उसका देहांत हो गया। उन्होंने बताया कि मृतका के परिवार के पास शव को वाहन से ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए उन्होंने न तो कोई एंबुलेंस बुलाया और न ही शव ले जाने वाला कोई वाहन बुलाया।
घाट करीब होने की वजह से पति नखड़ू और पिता मैनेजर बांस में चादर बांधकर शव को उसी में ले जा रहे थे। राहगीरों ने जब यह देखा तो पुलिस को इसकी सूचना दी। सिंह ने बताया कि इस सूचना पर छतनाग चौकी प्रभारी नवीन सिंह ने उनसे पूछताछ की। एक ई- रिक्शा की मदद से शव को श्मशान पहुंचाया। दाह संस्कार के लिए राहगीरों ने मिलकर पैसा इकट्ठा किया और मृतका के परिजनों को दिया। इसके बाद संस्कार की प्रक्रिया पूरी कराई जा सकी।