जामनगर: गुजरात के जामनगर जिले में अंधविश्वास में डूबे भाई-बहन ने कथित तौर पर अपनी छोटी बहन की हत्या कर दी है। हत्या के आरोपी ने दावा किया कि उन्होंने उसे इसलिए मारा था क्योंकि उन्हें डर था कि अगर वह जिंदा रही तो उनके परिवार में किसी सदस्य की असामयिक मृत्यु हो जाएगी। यह घटना 16 अक्टूबर की रात को जामनगर जिले के ध्रोल तालुका के हाजामचोरा गांव में हुई थी। पुलिस ने दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया है।
राकेश और सविता को मौके से लिया गया हिरासत में
मंगलवार को यह मामला तब सामने आया जब फार्म के मालिक बिपिन बरैया जहां तीनों भाई-बहन रहते थे। उन्हें शारदा तड़वी के भाई के व्यवहार को देखकर संदेह हुआ। जिसके बाद उसने इस बारे में पुलिस को सूचना दी। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और वहां शारदा का शव मिला। राकेश और सविता को मौके से हिरासत में लिया गया और बुधवार को बरैया की शिकायत दर्ज की गई। दोनों से प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि वे बहुत धार्मिक थे और नवरात्रि के पहले दिन से उपवास कर रहे थे। ध्रोल पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी प्रकाश पनारा ने कहा कि शारदा और सविता ने कमरे में चामुंडा देवता का आह्वान किया करते थे।
चाकू से कई वार किए
अनुष्ठान के दौरान सविता ने कहना शुरू कर दिया कि शारदा के पापों का घड़ा भर चुका है, अगर वह जीवित रही, तो उनके परिवार में असामयिक मृत्यु हो जाएगी। इसके बाद राकेश और सविता ने शारदा के कपड़े निकाल दिए और राकेश ने उसे लकड़ी के डंडे से पीटना शुरू कर दिया। इसके बाद सविता ने उस पर चाकू से कई वार किए। ध्रोल पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी प्रकाश पनारा ने कहा कि उनकी हैवानियत यहीं खत्म नहीं हुई। इसके बाद भाई-बहन उसे खींचकर कमरे से बाहर आंगन में ले आए और उसके सिर को लोहे की चारपाई पर और फिर दीवार पर बार-बार पटका। तीनों भाई-बहन अत्यधिक धार्मिक थे। वे नवरात्रि के उपवास की वजह से खाना नहीं खा रहे थे। कमरे में हमें कई देवी-देवताओं की तस्वीरें मिलीं।
चामुंडा माता मंदिर में पूजा करने भी गए
पनारा ने आगे बताया कि राकेश और शारदा पिछले डेढ़ साल से गांव में रह रहे थे और बरैया के फार्म में मजदूरी करते थे। करीब एक सप्ताह पहले सविता गांव आई थी। नवरात्रि से पहले वे चोटिला स्थित चामुंडा माता मंदिर में पूजा करने भी गए थे। जब उन्होंने 16 अक्टूबर की रात को अनुष्ठान करना शुरू किया, तो उनके साथ कुछ 8-10 अन्य लोग भी थे। आधी रात के बाद सविता और शारदा ने देवी का आह्वान करना शुरू कर दिया। पुलिस ने कहा कि यह परिवार दाहोद के मांडव गांव का मूल निवासी है और पुलिस को पता चला है कि उनके पिता भी गहरे धार्मिक हैं और कई अनुष्ठान करते हैं।