देहरादून: उत्तराखंड में आगामी 8 और 9 दिसंबर को होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को लेकर सीएम धामी लगातार रोड शो कर निवेशकों को आमंत्रित कर रहे हैं. साथ ही उत्तराखंड में अधिक से अधिक निवेश किए जाने के लिए सरकार हर वो कार्य कर रही है, जिससे निवेशकों को प्रदेश में निवेश करने में सहूलियत हो. वहीं, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले ही प्रदेश के लैंड बैंक को लेकर सवाल उठने लगे हैं. हरीश रावत का कहना है कि अगर ढाई लाख करोड़ का निवेश प्रदेश में आ गया, तो निवेशकों के लिए न सिर्फ भूमि कम पड़ जायेगी बल्कि, आने वाले पीढ़ियों को कुछ करने के लिए जगह भी नहीं होगी.
लंदन और दुबई में रोड शो कर निवेशकों को आमंत्रित करने के बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर निवेशकों को आमंत्रित कर रहे हैं. इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार को तमिलनाडु और बेंगलुरु के लिए रवाना हो गए हैं. 26 अक्टूबर को चेन्नई और बेंगलुरु में रोड शो के जरिए निवेशकों के साथ बैठक कर न सिर्फ एमओयू साइन करेंगे, बल्कि निवेशकों को देहरादून में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए आमंत्रित भी करेंगे. सीएम धामी के साथ उत्तराखंड के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और सौरभ बहुगुणा भी बेंगलुरु गए हुए हैं.
54 हजार करोड़ से ज्यादा के एमओयू साइन कर चुकी सरकार
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए उत्तराखंड सरकार ने करीब ढाई लाख करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य रखा है. जिसके सापेक्ष अभी तक करीब 54,550 करोड़ रुपए के एमओयू साइन किये जा चुके हैं. इसमें से ब्रिटेन दौरे के दौरान 12 हज़ार 500 करोड़ रुपए, यूएई दौरे के दौरान 15 हज़ार 475 करोड़ रुपए के एमओयू शामिल हैं. इसी क्रम में 4 सितंबर को दिल्ली में हुए रोड शो के दौरान 7,600 करोड़ और 4 अक्टूबर को दिल्ली में ही हुए रोड शो के दौरान 18,975 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर एमओयू साइन हो चुके हैं.
इंग्लैंड और यूएई में रोड शो कर चुके सीएम धामी
सीएम धामी के अनुसार, उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत लंदन, बर्मिंघम, दिल्ली, दुबई और अबू धाबी में तमाम निवेशकों के साथ बैठक की गई है. मुख्य रूप से पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, फार्मा, कृषि और एग्रो के क्षेत्र में निवेश के लिए निवेशकों के साथ एमओयू साइन हुए हैं. दुबई और आबू धाबी में निवेश के लिए हजारों करोड़ रुपए पर करार हुआ है. साथ ही इससे अलग भी काफी प्रस्ताव मिले हैं. सीएम धामी ने कहा कि देहरादून में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होने से पहले, अभी तक हुए सभी करारों को धरातल पर उतारने पर जोर दिया जा रहा है. इसके अलावा, निवेशकों के साथ बैठक के दौरान जो सुझाव प्राप्त हो रहे हैं, उन पर भी अमल किया जा रहा है.
हरीश रावत ने इन्वेस्टर्स समिट को बताया दिखावा
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को सफल बनाने और अधिक से अधिक निवेश उत्तराखंड में लाने को लेकर जहां एक और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद कमान संभाली हुई है, तो वहीं दूसरी ओर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस चुटकी लेता दिखाई दे रहा है. दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पर कहा कि सरकार भ्रम है, लेकिन हरीश रावत भ्रम में नहीं हैं. साल 2018 में जो इन्वेस्टर्स समिट हुआ था, वह सिर्फ एक शोकेस था. क्योंकि एक भी एमओयू धरती पर उतरते दिखाई नहीं दिए. हालांकि, ये जरूर है कि रिसॉर्ट, कैसीनो, बार और होटल जरूर बन गए हैं. लेकिन, जनता से सीधे तौर पर जुड़े स्वास्थ्य, शिक्षा समेत अन्य क्षेत्रों में कोई काम दिखाई नहीं दिया.
हरीश रावत ने कहा छोटा पड़ जाएगा हिमालय !
हरीश रावत ने कहा कि सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए जो एमओयू कर रही है, अगर वो धरातल पर उतर गए, तो उत्तराखंड की धरती पर लोगों के रहने के लायक जमीन ही नहीं रहेगी. ऐसे में निवेशकों के लिए ही हिमालय भी छोटा पड़ जायेगा. यही नहीं, हरीश रावत ने कहा कि वो, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के विदेश दौरे के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि देश और दुनिया किस तरफ जा रही है, उसको देखना ही चाहिए. लेकिन जो प्रदेश में लैंड बैंक बनाया गया था, उसका मुख्य उद्देश्य ही था कि जो विस्थापित होकर आ रहे हैं, उनको बसाया जाए. साथ ही उत्तराखंड के लोग जो उद्योग लगाना चाहें उनके लिए लैंडबैंक बनाया गया था. लेकिन इन्वेस्टर्स समिट के जरिए राज्य सरकार कुछ लोगों को जमीन दे देगी. ऐसे में आने वाले समय में उत्तराखंड के वो लोग जो कुछ करना चाहेंगे, उनके लिए जमीन ही नहीं बचेगी.
प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा हतोत्साहित करना चाहते हैं हरीश रावत
हरीश रावत के बयान पर वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि देहरादून में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए उम्मीद के मुताबिक लोगों का सहयोग मिल रहा है. इसी क्रम में सीएम धामी देश और विदेश में लगातार रोड शो कर रहे हैं और एमओयू साइन हो रहे हैं. ऐसे में हो सकता है कि हरीश रावत को अच्छा न लग रहा हो, जबकि उन्हें सरकार को बधाई देनी चाहिए कि इस तरह से जो एमओयू हो रहे हैं, उससे उत्तराखंड सरकार के प्रति जनता का विश्वास बढ़ा है. इस तरह के बयान से लगता है कि हरीश रावत, प्रदेश में आने वाले लोगों को और सरकार को हतोत्साहित करना चाहते हैं.