देहरादून: उत्तराखंड राज्य आज 23 साल का हो गया है. उत्तराखंड अब अपने 24वें साल में कदम रख रहा है. उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को किया गया था. लिहाजा हर साल राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश भर में बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. साथ ही एक अलग पर्वतीय राज्य की मांग को लेकर अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आंदोलनकारियों को नमन भी करते हैं.
#WATCH | Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami pays floral tribute at the Martyr Memorial on the occasion of State Foundation Day in Dehradun. pic.twitter.com/hfBvpRNkpc
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 9, 2023
सीएम धामी ने शहीद आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि
हर साल राज्य स्थापना दिवस पर देहरादून स्थित शहीद स्मारक पर कार्यक्रम होता है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट देहरादून स्थित शहीद स्मारक पहुंचे. वहां राज्य आंदोलनकारी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ आम जनता भी शहीद स्मारक पर उत्तराखंड के शहीद आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे.
सम्पूर्ण प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
– प्रदेश अध्यक्ष श्री @mahendrabhatbjp#DestinationUttarakhand pic.twitter.com/GAxPkGNg6Q— BJP Uttarakhand (@BJP4UK) November 9, 2023
बड़े संघर्ष के बाद मिला उत्तराखंड राज्य
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य एक बड़े संघर्ष के बाद मिला है. ऐसे में जिस अवधारणा को लेकर एक अलग राज्य की मांग की थी. उस अवधारणा को पूरा करने के लिए सरकार कटिबद्ध है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस के मौके पर पहली बार राष्ट्रपति देहरादून पहुंची हैं. राष्ट्रपति परेड में शामिल हुई हैं. आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के लिए बनाई गई प्रवर समिति आज विधानसभा अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट भी सौंप देगी.
राज्य के लिए शहीद हुए थे 42 आंदोलनकारी
उत्तराखंड राज्य गठन में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारीयो की एक बड़ी भूमिका रही है. दरअसल, उत्तर प्रदेश से अलग एक पर्वतीय राज्य बड़े ही संघर्षों के बाद मिला था. एक अलग राज्य के लिए 42 आंदोलनरियों ने अपनी शहादत भी दी है. मुख्य रूप से एक अलग पर्वतीय राज्य बनाने की अवधारणा यही थी कि प्रदेश के जल, जंगल और जवानी का बेहतर ढंग से उपयोग हो सके. साथ ही प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार प्रदेश का विकास हो सके. हालांकि, जिन अवधारणाओं के साथ एक अलग राज्य की मांग उठी थी, उस अवधारणा को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है.