देहरादून: पुरातात्विक धरोहरों, उत्खनन और देश-दुनिया की प्राचीन सभ्यताओं के बारे में जानने को बेताब लोगों के लिए उत्तराखंड से बड़ी खबर है। यहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) धरती के सीने में दफन दो प्राचीन नगरों को खोजने के लिए उत्खनन कार्य करने की तैयारी में है।
पहला मामला अल्मोड़ा जिले का है। पुरातत्विद मान रहे हैं कि अल्मोड़ा जिले की गेवाड़ घाटी के चौखुटिया में रामगंगा किनारे प्राचीन सभ्यता का एक नगर धरती के नीचे दफन अवस्था में मिल सकता है। बताया जा रहा है कि इसे लेकर एएसआई पूर्व में चौखुटिया क्षेत्र का सर्वे कर चुकी है। अब एएसआई इस क्षेत्र में प्राचीन नगर खोजने के मकसद से उत्खनन कार्य की तैयारी में जुट गया है।
गोविषाण टीले की होगी विस्तृत खोदाई
उत्तराखंड में काशीपुर के गोविषाण टीले के नीचे भी प्राचीन सभ्यता का शहर बसे होने के प्रमाण पूर्व में एएसआई को मिले हैं। बाकायदा वहां पूर्व में धरती के गर्भ से पंचायतन मंदिर और कुछ अन्य पुरातात्विक अवशेष बाहर निकाले जा चुके हैं। तब एएसआई ने एक निश्चित क्षेत्रफल में खोदाई कर पंचायतन मंदिर खोजा था। अब एएसआई उस पूरे टीले की खोदाई कर प्राचीन नगर खोजने की कवायद शुरू करने वाली है।
चौखुटिया में प्राचीन नगर दफन होने की संभावना
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देश भर में प्राचीन संस्कृतियों के संरक्षण के कार्य में जुटा हुआ है। अब तक देश के अलग-अलग हिस्सों में एएसआई धरती के सीने में दफन कई प्राचीन नगरों को उत्खनन के बाद बाहर ला चुका है। एएसआई का मानना है कि चौखुटिया की गेवाड़ घाटी में रामगंगा किनारे प्राचीन नगर धरती के सीने दफन हो सकता है।
सर्वे में मिल चुके हैं प्रमाण
एएसआई ने यहां उत्खनन कर प्राचीन शहर का पता लगाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। अधिकारियों के मुताबिक यहां जल्द ही उत्खनन कार्य शुरू होगा। उत्खनन के बाद ही पता चल सकेगा कि यहां बसा शहर किस सभ्यता और किस सदी का है।
इसलिए मिलता है दावों को बल
एएसआई के मुताबिक चौखुटिया में रामगंगा नदी किनारे नौवीं और 10वीं सदी के वक्रतुंडेश्वर मंदिर और नाथ संपदा के सात मंदिरों का समूह मौजूद है। इन प्राचीन मंदिरों की मौजूूदगी से यह साफ है कि रामगंगा नदी किनारे सभ्यता खूब पनपी होगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस स्थान पर प्राचीन काल में कोई नगर बसा हुआ होगा। इसी को लेकर एएसआई ने उत्खनन की तैयारी शुरू की है।
चार साल तक चलेगा उत्खनन कार्य
एएसआई के मुताबिक नए वर्ष में उत्खनन कार्य संभावित है। वैज्ञानिक तरीके से उत्खनन कार्य किया जाता है। उत्खनन टीमें धरती से कुछ नीचे तक खोदाई करती हैं। उसके बाद छोटे उपकरण से खुदाई करनी पड़ती है, ताकि धरती के सीने में मौजूद अवशेषों को नुकसान न पहुंचे। लिहाजा चौखुटिया में उत्खनन कार्य करीब चार साल तक चलने की संभावना है।
नदी किनारे ही रही है प्राचीन बसासत
एएसआई के मुताबिक प्राचीन सभ्यता आम तौर पर नदियों के किनारे ही पनपी है। नदियों के जल से पानी के साथ अन्य जरूरत पूरी होती थी। ऐसे में प्राचीन समय में नदियों के किनारे ही बसासत रहती थी, इसके देश भर में कई प्रमाण मिल चुके हैं।
उत्खनन का प्रस्ताव तैयार
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद मनोज कुमार सक्सेना के मुताबिक रामगंगा नदी किनारे जमीन के भीतर प्राचीन शहर दफन होने के प्रमाण मिले हैं। यहां उत्खनन का प्रस्ताव तैयार हो चुका है, इस पर जल्द काम शुरू होगा। उन्होंने बताया कि काशीपुर के गोविषाण टीले की विस्तृत खोदाई का भी प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है।