कोविड के नए वेरिएंट JN-1 को लेकर CM धामी अलर्ट, अधिकारियों के साथ की बैठक, स्वास्थ्य सचिव ने जारी की नई गाइडलाइन

खबर उत्तराखंड

देहरादून: देश-दुनिया में कोविड -19 का नया वेरिएंट जेएन-1 तेजी से फैल रहा है. जिसको देखते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है. इसी क्रम में आज सचिवालय में सीएम धामी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं को लेकर फीडबैक लिया. इसी बीच सीएम ने अधिकारियों को कोरोना के नए वेरिएंट जेएन-1 को कंट्रोल करने के लिए हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए. इसके अलावा सीएम ने स्वास्थ्य सचिव से प्रदेश के तमाम अस्पतालों में संसाधनों और आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए की गई तैयारियों की जानकारी भी ली.

स्वास्थ्य सचिव ने जारी की नई गाइडलाइन

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि कोरोना के नए वेरिएंट जेएन-1 को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी गई है. साथ ही गाइडलाइन के जरिए सांस से संबंधित मरीजों की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को कोरोना से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं.

कोरोना के नये वेरिएंट से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि मौजूदा समय में कोविड जांच के लिए प्रदेश भर में करीब 50 से अधिक पैथोलॉजी लैब स्थापित हैं. जिसमें पीएचसी और सीएचसी स्तर पर एंटी रैपिड टेस्ट की सुविधा है. साथ ही कोविड और इन्फ्लूएंजा से पीड़ित मरीजों के लिए प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड की पूरी व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में 5,893 ऑक्सीजन सपोर्टेड आइसोलेशन बेड, 1,204 आईसीयू बेड, वेंटीलेटर युक्त 894 आईसीयू बेड, 1,298 क्रियाशील वेंटीलेटर, 7,561 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 15,950 ऑक्सीजन सिलेंडर, 93 क्रियाशील पीएसए प्लांट और 807 क्रियाशील ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक उपलब्ध हैं. इसके अलावा, कोविड-19 प्रबंधन में प्रशिक्षित 3,161 पैरामेडिकल स्टॉफ की टीम शामिल है.

उत्तराखंड में नये वेरिएंट के नहीं मिले मरीज

सीएम धामी ने कहा कि अभी तक प्रदेश में कोरोना के नए वेरिएंट जेएन-1 का एक भी मामला सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार पूरी तरह से अलर्ट है. कोरोना के नए वेरिएंट जेएन-1 से निपटने के लिए अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू और अन्य सुविधाएं व्यवस्थित कर ली गई हैं. साथ ही सभी अस्पतालों को निर्देश दिए गए है कि वो सांस और हृदय रोगियों की लगातार मॉनिटरिंग भी करते रहे.

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