हरिद्वारः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज उत्तराखंड दौरे पर रहे. जहां उन्होंने हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में आयोजित वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ का उद्घाटन किया जो कि महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया. कार्यक्रम 25 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सम्मिलित होंगे.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड के रिटायर्ड राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह भी मौजूद रहे. वहीं अपने भाषण में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संसद भवन देखने के लिए निमंत्रित किया और कहा कि वह बिना समय गवाएं एक बार संसद भवन जरूर देखने आएं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह सभी विद्यार्थियों को खुद संसद भवन दिखाएंगे और सभी विद्यार्थी और कुलपति हमारे संसद भवन में मेहमान होंगे.
LIVE: माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी के साथ गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय हरिद्वार में वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ कार्यक्रम में प्रतिभाग https://t.co/kpjXt2oFgy
— Pushkar Singh Dhami (Modi Ka Parivar) (@pushkardhami) December 23, 2023
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि संसद भवन में आकर विद्यार्थियों को पता चलेगा कि मौजूदा और पहले के भारत में कितना बदलाव हुआ है. संसद भवन देखकर आने वाले समय में और क्या-क्या बदलाव भारत में देखने को मिलेंगे, यह सब विद्यार्थियों को पता चलेगा. इसी के साथ उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में वेदों का बहुत महत्व है. इसीलिए हमें चाहिए कि वेदों का अध्ययन करें.
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, देश को महान बनाने के लिए वेदों की ओर लौटना होगा. उन्होंने कटाक्ष में कहा कि कुछ लोग भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे, आप उनकी पाचन को सही करने का काम करेंगे. कुछ लोग भारत की संस्कृति को लेकर अपमान का भाव रखते हैं. भारत की छवि को धूमिल करने में लगे रहते हैं. भारत विरोधी प्रचार करने वाले को राष्ट्र के विरोधी पर प्रतिघात होना चाहिए.
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अब हमें वेदों की ओर लौटना होगा और महर्षि दयानंद के जीवन की दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा. तब जाकर पुनः भारत विश्व गुरु बन सकता है, जिसके बारे में हमारे ऋषि मुनियों ने कल्पना की और आज हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इस दिशा में आगे बढ़ने का कार्य कर रहे हैं. यह बड़ी विडंबना है कि आज भी आमजन से वेद काफी दूर हैं. हमारे वेद आचार्य धर्माचार्य को चाहिए कि वह वेदों से आमजन को जोड़ें और यह कार्य तभी हो सकता है, जब इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होंगे.