देहरादून: तीन राज्यों में चुनावी हार के बाद कांग्रेस ने कई राज्यों के प्रभारियों को बदला है, जिसमें एक उत्तराखंड राज्य भी है. कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को उत्तराखंड का प्रभारी बनाया है. अभी तक देवेंद्र यादव उत्तराखंड कांग्रेस के प्रभारी थे. बीते लंबे समय से देवेंद्र यादव को उत्तराखंड के प्रभारी पद से हटाने की मांग चल रही थी. देवेंद्र यादव को पंजाब का प्रभारी बनाया गया है.
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल ने शनिवार को पत्र जारी करते हुए इसकी जानकारी दी. इससे पहले कुमारी शैलजा छत्तीसगढ़ का प्रभार संभाल रही थी, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने बड़ा फेरबदल करते हुए पार्टी में चल रही गुटबाजी को लगाम लगाने की कोशिश की है.
कुमारी शैलजा मूल रूप से हरियाणा के हिसार की रहने वाली है, जो पूर्व की यूपीए सरकार ने केंद्रीय मंत्री रह चुकी है. कुमारी शैलजा के राजनैतिक जीवन की शुरुआत 1990 में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनने से हुई थी. इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में कुमारी शैलजा उत्तराखंड स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्ष रह चुकी हैं. शैलजा कुमारी अंबाला की सांसद रह चुकी हैं और उन्होंने इस निर्वाचन क्षेत्र में दो कार्यकालों तक काम किया. यूपीए सरकार के दौरान सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री का पद भी उन्होंने संभाला है/ उन्होंने 1990 में महिला कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने राजनीतिक मैदान में प्रवेश किया था. उसके बाद 1991 में पहली बार दसवीं लोकसभा चुनाव में हरियाणा के सिरसा लोकसभा सीट से जीती और नरसिम्हा राव सरकार में शिक्षा और संस्कृति राज्य मंत्री रही.
इससे पहले कुमारी शैलजा छत्तीसगढ़ का प्रभार संभाल रही थी, लेकिन उनकी जगह राजस्थान के डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट को यह जिम्मेदारी की गई है, और देवेंद्र यादव के बदले कुमारी शैलजा को उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रभारी बनाया गया है.
बता दें कि बीते कुछ समय से उत्तराखंड में कांग्रेस का प्रदेश प्रभारी रहते हुए देवेंद्र यादव की अपनी ही पार्टी के नेताओं से कुछ अनबन चल रही थी. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से लेकर पार्टी के कई बड़े नेता देवेंद्र यादव के खिलाफ बयानबाजी करते हुए नजर आए थे. इससे पहले हरीश रावत और देवेंद्र यादव के बीच भी बयानबाजी को दौरा देखा गया था. इसी गुटबाजी के वजह से साल 2022 में कांग्रेस को लगातार दूसरी बार उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.