नई दिल्ली: समलैंगिक संबंध को लेकर अब लोग खुलकर सामने आने लगे हैं। इतना ही नहीं लोग इस रिश्ते को स्वीकार भी करने लगे हैं। लेकिन भारत में भले ही समलैंगिता अपराध की श्रेणी से बाहर हैं, लेकिन अभी तक इसमें हुई विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं हैं। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गई है।समलैंगिक कपल ने याचिका दायर करके मांग की है कि स्पेशल मैरिज एक्ट को जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए और LGBTQ+ समुदाय को सेम सेक्स मैरिज की अनुमति दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी किया और उसे दो याचिकाओं पर चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नोटिस जारी करके अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि की सहायता भी ली। हैदराबाद के सुप्रियो उर्फ सुप्रिया चक्रवर्ती और अभय डांग और दिल्ली के भागीदार पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज समलैंगिक कपल ने सुप्रीम कोर्ट में विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए याचिका दायर की है।दोनों ही याचिका में कहा गया है कि एलजीबीटीक्यू समुदाय को भी अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने का मौलिक अधिकार है। वर्तमान में विवाह को मान्यता देने वाला कानूनी ढांचा LGBTQ+ समुदाय के सदस्यों को पसंद की शादी करने की इजाजत नहीं देता है।
अलग-अलग हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं की एक साथ SC में होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर केंद्र सरकार और अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी की है और चार सप्ताह के भीतर इसे लेकर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही उच्चतम अदालत ने केरल समेत अन्य हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को यहां ट्रांसफर करने के लिए कहा है।सभी मामलों की सुनवाई एक साथ की जाएगी।
शादी को मिले कानूनी मान्यता
दायर की गई दो याचिकाओं में से एक में कहा गया है कि वो एक दूसरे से प्यार करते हैं। 17 साल से साथ हैं और दो बच्चों की परवरिश कर रहे हैं। लेकिन वो कानूनी रूप से शादी नहीं कर सकते हैं। जिसकी वजह से वो अपने बच्चे को अपना नाम नहीं दे सकते हैं। वहीं दूसरी याचिका जिसे सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय दंगड़ दायर की है उन्होंने सेम सेक्स मैरेज को कानूनी मान्यता देने की मांग की है।