रामपुर: उत्तर प्रदेश की एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. लोकसभा के लिए जहां मैनपुरी सीट पर पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे तो वहीं मुजफ्फरनगर जिले की खतौली और रामपुर जिले की सदर विधानसभा सीट पर भी पांच दिसंबर को ही वोटिंग होगी. रामपुर सदर से आसिम राजा को सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है. इस सीट से पूर्व विधायक आजम खान, आसिम राजा के समर्थन में जोर-शोर से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. साथ ही लोगों से आसिम को जिताने की अपील कर रहे हैं. इसी बीच बीते रविवार को आजम खान ने उपचुनाव में पहली बार जनसभा को संबोधित किया. अपने भाषण के दौरान आजम खान भावुक हो गए. उनकी आंख से आंसू छलक उठे. आजम खान ने भावुक मन से कहा कि मेरा वोट डालने का भी अधिकार खत्म हो गया. अब मुझे देश से निकालना बाकी रह गया है. जल्द वो भी कर दिया जाएगा.
सपा कार्यकर्ताओं को धमकाया जा रहा
आजम खान ने आरोप लगाया कि सदर सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए प्रचार कर रहे सपा कार्यकर्ताओं को धमकाने के लिए बीजेपी सरकार पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों का इस्तेमाल कर रही है. आजम खान ने कहा कि अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और चंद्रशेखर आजाद (आजाद पार्टी) यहां उपचुनाव के प्रचार के लिए आने वाले हैं, लेकिन सवाल यह है कि आखिर वह यहां क्यों आ रहे हैं, जब यहां चुनाव हो ही नहीं रहा है.
अखिलेश यादव से करूंगा शिकायत
आजम खान ने कहा कि जब अखिलेश यादव यहां आएंगे तो मैं उनसे निर्वाचन आयोग से बीजेपी उम्मीदवार को विजेता घोषित करने का अनुरोध करने के लिए कहूंगा. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस और जिला प्रशासन के द्वारा सपा कार्यकर्ताओं को धमकाया जा रहा है और उन पर अत्याचार किया जा रहा है. आजम खान ने कहा कि पुलिस ने 50 घरों के दरवाजे तोड़ दिए और बेगुनाह लोगों को सड़क से उठा लिया. उन्होंने मेरी पत्नी को भी नहीं बख्शा, जो एक पूर्व सांसद हैं और उनके लिए असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया. आजम खान ने आरोप लगाया कि दूसरों के अलावा उनकी पत्नी तंजीन फातिमा को भी घर से बाहर न निकलने की चेतावनी दी गई है.
पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट मांगना मेरा अधिकार- आजम
आजम खान ने कहा कि मेरी पार्टी के उम्मीदवार के लिए वोट मांगना मेरा अधिकार है. उनके पास पुलिस के अत्याचार का वीडियो फुटेज है, जिसे वह मीडिया के साथ साझा नहीं करेंगे, क्योंकि उनके ऐसा करने पर अदालत इसे सबूत नहीं मानेगी. उपचुनाव पांच दिसंबर को होगा. दरअसल, 2019 के भड़काऊ भाषण मामले में अदालत से तीन साल की सजा मिलने के बाद आजम खान की विधानसभा सदस्यता निरस्त हो गई और उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग गई और अब वो अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे.