नई दिल्ली: भाजपा ने 182 विधानसभाओं वाले गुजरात में भले ही 150 से अधिक सीटें जीतकर नया इतिहास रचा हो, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कांग्रेस ने इस चुनाव परिणाम के बाद एक नहीं, बल्कि चार राज्यों में एक साथ बड़ा रिकॉर्ड कायम कर दिया है। मगर कांग्रेस का यह रिकॉर्ड जश्न का नहीं, बल्कि पार्टी के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गया है। आखिर क्या वजह है कि कांग्रेस के नाम इस तरह के अनचाहे रिकॉर्ड लगातार दर्ज होते जा रहे हैं। आखिर क्यों कांग्रेस ऐसे रिकॉर्डों से अपना पीछा नहीं छुड़ा पा रही है। आइए आपको सबसे पहले बताते हैं कि वह ऐसे कौन से रिकॉर्ड हैं, जिसने कांग्रेस को और भी अधिक मुश्किल में फंसा दिया है…?
कांग्रेस के लिए भले ही आज का दिन गम के साथ-साथ जश्न मनाने वाला भी रहा, क्योंकि वह गुजरात में हारी तो हिमाचल प्रदेश में जीती भी। हिमाचल की जीत यह निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं है। मगर गुजरात में ऐतिहासिक हार भी उसकी चिंता का बड़ा कारण है। कांग्रेस फिलहाल हिमाचल की इस जीत का श्रेय राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को दे रही है, लेकिन ऐसा क्या कारण है कि जिस भारत जोड़ो यात्रा से हिमाचल में कांग्रेस के बहुमत हासिल करने का दावा किया जा रहा है, उसी भारत जोड़ो यात्रा ने गुजरात में अब तक की सबसे शर्मनाक हार से सामना करा दिया। गुजरात विधानसभा चुनावों के इतिहास में वर्ष 2022 की यह हार कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी हार साबित हुई है। कुछ तो वजह होगी कि कांग्रेस गुजरात में भाजपा के खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी का दावा करने के बावजूद 20 सीटें भी नहीं जीत सकी। खैर यह सब कांग्रेस का आंतिरक मामला है, जिस पर मंथन करने या नहीं करने का निर्णय भी उसका अपना ही होगा, लेकिन हम आपको बताते हैं कि गुजरात की इस हार के साथ कांग्रेस के नाम कौन-कौन से अन्य शर्मनाक रिकॉर्ड दर्ज हो गए हैं?
कांग्रेस ने बनाया 4 राज्यों में ये नया रिकॉर्ड
गुजरात विधानसभा चुनावों में लगातार सातवीं बार हार के साथ ही कांग्रेस के नाम एक नया रिकॉर्ड जुड़ गया है। यह रिकॉर्ड सिर्फ गुजरात में ही नहीं, बल्कि यूपी से लेकर बिहार और पश्चिम बंगाल तक में कायम हुआ है। अब कांग्रेस देश की पहली ऐसी पार्टी बन गई है, जिसके नाम 30 वर्ष और उससे अधिक समय तक किसी राज्य की सत्ता से बाहर रहने का अजीबोगरीब रिकॉर्ड दर्ज हो गया है। गुजरात में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद अब कांग्रेस लगातार 32 वर्षों तक सत्ता से बाहर रहेगी। वहीं यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस तीन दशकों से अधिक समय से सत्ता से बाहर है।
पश्चिम बंगाल में 55 वर्षों से सत्ता से बाहर है कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के नाम सबसे शर्मनाक रिकॉर्ड पश्चिम बंगाल का है, जहां वह 55 वर्षों से सत्ता में नहीं आ चुकी है। वर्ष 1977 से कांग्रेस लगातार पश्चिम बंगाल की सत्ता से न सिर्फ बाहर है, बल्कि विपक्ष में भी बैठने लायक नहीं रही। कांग्रेस के सिद्धार्थ शंकर राय पार्टी की ओर से पश्चिम बंगाल के आखिरी मुख्यमंत्री थे। 1977 में उनके हटते ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का पश्चिम बंगाल की सत्ता पर राज हो गया। इसके बाद माकपा लगातार 34 वर्षों तक शासन में रही और वर्ष 2011 तक राज किया। इसके बाद से ममता बनर्जी लगातार तीन बार से पश्चिम बंगाल की सीएम हैं। अब भाजपा वहां की प्रमुख विपक्ष बनी है।
यूपी में 33 वर्षों से नहीं लौट सकी कांग्रेस
वर्ष 1989 के बाद कांग्रेस यूपी की सत्ता में आज तक वापसी नहीं कर चुकी। यूपी में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे, जिनका कार्यकाल 1989 तक रहा। इसके बाद दिसंबर 1989 में मुलायम सिंह यादव यूपी के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। इसके बाद यहां की सत्ता में कभी सपा तो कभी बसपा और भाजपा की गठबंधन सरकार आती रही। अब वर्ष 2017 से लगातार भाजपा का शासन है। योगी आदित्यनाथ रिकॉर्ड सीटों के साथ दूसरी बार यूपी के सीएम बने हैं। इस प्रकार यूपी की सत्ता से भी कांग्रेस 33 वर्षों से बाहर है। साथ ही वह अब राज्य में एक-दो सीटों पर ही सिमट गई है। एक तरह से कांग्रेस का वजूद ही यूपी में खत्म हो चुका है। सपा यहां की अब प्रमुख विपक्ष है।
बिहार में 32 वर्षों से नहीं मिला सत्ता का सुख
यूपी और पश्चिम बंगाल की तरह ही बिहार से भी कांग्रेस 32 वर्षों से सत्ता से बाहर है। साथ ही यहां भी विपक्ष में बैठने के लायक नहीं रह गई है। बिहार में जेडीयू और आरजेडी की मौजूदा सरकार है, जहां नितीश कुमार गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री हैं। भाजपा यहां मुख्य विपक्ष की भूमिका में है। कांग्रेस का हस्र यहां भी यूपी और पश्चिम बंगाल की तरह ही है।
अब गुजरात में भी 32 वर्ष तक बाहर रहेगी कांग्रेस
पश्चिम बंगाल, यूपी और बिहार के बाद अब गुजरात में भी कांग्रेस लगातार 32 वर्षों तक सत्ता से बाहर रहेगी। अभी तक गुजरात में वह 27 वर्षों से बाहर थी। इस बार 2022 के चुनाव में कांग्रेस को परिवर्तन की उम्मीद थी, लेकिन परिवर्तन दो दूर छोड़िये उसने राज्य में शर्मनाक हार का नया रिकॉर्ड बना डाला और झोली में 20 से भी कम सीटें आईं। इससे पहले कांग्रेस के नाम गुजरात में सबसे कम सीटें जीतने का रिकॉर्ड 1990 में दर्ज हुआ था, जब उसे केवल 33 सीटें मिली थीं। इस प्रकार उक्त चार राज्यों में कांग्रेस 30 वर्षों से भी अधिक समय तक सत्ता से बाहर रहने का नया और शर्मनाक रिकॉर्ड बना चुकी है।