न्यूज़ डेस्क: एटीएम से पैसे तो हम सभी निकालते हैं, अब सोना भी निकाला जा सकेगा. जी हां, हैदराबाद में कथित तौर पर दुनिया का पहला रियल टाइम गोल्ड एटीएम लग चुका, जिससे कुछ खास साइज के गोल्ड कॉइन निकाले जा सकेंगे. दावा किया जा रहा है कि मशीन पर गोल्ड प्राइस भी लाइव दिखता रहेगा.
निकाला जा चुका 80 प्रतिशत गोल्ड
एक तरफ तो सोने पर निवेश को और बढ़ाने के लिए नई-नई चीजें हो रही हैं, दूसरी तरफ चिंता बढ़ाने वाली बातें भी चल रही हैं. कई जानकार मानते हैं कि धरती का ज्यादातर सोना निकाला जा चुका. अगर वाकई ऐसा है तो क्या अब घरों या बैंक में रिजर्व सोना ही बाकी रहेगा? क्या सोने के लिए जंग छिड़ जाएगी? चलिए, सवालों के जवाब साथ-साथ समझते चलें.
बीते 70 वर्षों में सबसे ज्यादा खनन
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, अब तक लगभग 2 लाख टन सोना निकाला जा चुका और अब सिर्फ 50 हजार टन ही बाकी है. कितना सोना बाकी है, इसपर अलग-अलग संस्थाएं अलग डेटा देती हैं, लेकिन इसमें हल्का सा ही हेरफेर है. जिस पर ज्यादातर सोना साल 1950 के बाद निकाला गया.
कितना सोना बाकी है?
जिस तेजी से खनन हुआ, अब उसी रफ्तार से घट भी रहा है क्योंकि खदानों में सोना बाकी नहीं. अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन सैश को डर है कि अगले 20 वर्षों में जमीन के नीचे सोना पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल टन में बात करने की बजाए उस उदाहरण से बात करता है, जो हम जैसे लोगों की समझ में आए. जैसे अब अगर धरती के नीचे 50 हजार टन सोना बाकी है तो वो इतना ही है, जितना दो कार्गो जहाज में आ जाए.
तब क्या होगा?
सोना खत्म होने के बाद क्या होगा, इसपर आम लोग ही नहीं, एक्सपर्ट भी चिंतित होते रहे. इससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो सकती है क्योंकि अब भी देश की शक्ति उसके गोल्ड रिजर्व से निकाली जाती है. किसी भी देश के व्यापार में भी सोना बड़ा हिस्सा रहता आया है. ये अब से नहीं, बल्कि सदियों से है. तो ये भी मुमकिन है कि सोना खत्म होने पर बड़े देश, कमजोर देशों पर हमला करके उनके सोने का भंडार कब्जाने लगें, लेकिन इसपर बात कभी और. फिलहाल ये समझते हैं कि गोल्ड माइन्स खाली हो गईं तो कंपनियां क्या करेंगी.
बड़ी कंपनियां ही बाकी रह जाएंगी
अपनी किताब ‘द न्यू केस फॉर गोल्ड’ में अमेरिकी इनवेस्टमेंट बैंकर जिम रिचर्ड्स कई बातें कहते-बताते हैं. बकौल जिम, सोना खत्म होने की चाहे कितनी ही भविष्यवाणियां हो जाएं, खनन चलता रहेगा. इसके लिए नई-नई तकनीकें आएंगी. जिन जगहों पर कोई नहीं जाता, वहां पर माइन्स डाली जाएंगी. इस सब से होगा ये कि छोटी खनन कंपनियों की जगह देशों में इक्का-दुक्का कंपनियां रह जाएंगी. एक और बदलाव ये होगा कि सोने की कीमत तेजी से बहुत ऊपर चली जाएगी. ऐसी, जो आम आदमी की पहुंच से बाहर हो. ऐसे में पहले से जमा सोना ही सहारा रह जाएगा.
कहां खोजा जाएगा सोना?
सोना खत्म होना, वैसा ही है, जैसे दुनिया से चावल खत्म हो जाना. इसके बगैर गुजारा नहीं. तो इसकी तलाश में पैसे वाली कंपनियां हर असंभव लगने वाली जगहों को एक्सप्लोर करेंगी. मिसाल के तौर पर समुद्र के नीचे सोना खोजा जाएगा. बर्फीले रेगिस्तान, जहां धुव्रीय भालू रहते हैं, या फिर कुछ साइंटिस्ट, ऐसी जगहों पर खदानें लगाई जाएंगी.
दूसरे ग्रह पर सोने की खोज
ये चर्चा का अलग ही विषय है. भले ही धरती से सोना खत्म हो जाए, लेकिन यूनिवर्स में तो सोना बचेगा ही. इस सोच के साथ साइंटिस्टों ने अभी से ब्रह्मांड में सोने की तलाश शुरू कर दी है. एस्ट्रोफिजिसिस्ट डॉक्टर नील दीग्रास टायसन ने सुझाव दिया के स्पेस में मौजूद एस्टेरॉइड्स में गोल्ड का भंडार हो सकता है. अगर ये सच है तो बहुत बड़ी उम्मीद जागती है.
स्पेस से लाकर कर सकते हैं जांच
यही देखते हुए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक लॉ भी पास कर दिया, जिसके तहत चंद्रमा या एस्टेरॉइड से मिनरल्स लाकर उनपर स्टडी की जा सकती है. इससे ये पता चलेगा कि क्या वाकई अब स्पेस में खुदाई करने का वक्त आ चुका.
वो तारा, जिसमें सोना ही सोना है
बृहस्पति और मंगल के बीच एक ऐसा एस्टेरॉइड है, जो हाथ लग जाए तो धरती का हरेक इंसान मालामाल हो जाएगा. इस एस्टेरॉइड का नाम 16-साइकी है, जो सोने, प्लेटिनम, निकल और आयरन से बना है. लगभग 225 किलोमीटर व्यास से इस टुकड़े में उतना सोना है जिसकी पक्की गणना भी अब तक नहीं हो सकी.
खैर, इतना सोना अगर धरती पर आ भी जाए, तो किसी काम का नहीं रहेगा. इसके पीछे भी बिजनेस का एक कंसेप्ट काम करता है, जिसके मुताबिक कोई चीज तभी तक कीमती है, जब तक वो ज्यादा न हो जाए. जैसे ही मार्केट में सोने की बाढ़ आएगी, वो किसी भी आम चीज की तरह बनकर रह जाएगा. यानी जब तक कम है, तभी तक सोना है.
Source : “आज तक”