पौड़ी: पहाड़ के मरीजों को अब बोनमेरो बायोप्सी की जॉच कराने के लिए ऋषिकेश एम्स या देहरादून के किसी बड़े हॉस्पिटल में नहीं जाना पड़ेगा. अब पहाड़ में ही मरीजों को ये सुविधा मेडिकल कॉलेज श्रीनगर की पैथोलॉजी लैब में मिल जाएगी. खास बात यह है कि इस जांच के लिए मरीजों को फीस के रूप में सिर्फ 100 रुपए देने होंगे. अभी तक इन जॉचों के लिए मरीजों को ऋषिकेश और देहरादून के बड़े हॉस्पिटल में जाना पड़ता था. लेकिन गढ़वाल क्षेत्र के पहाड़ी जनपदों के एकमात्र मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के पैथोलॉजी विभाग में एमडी कोर्स की भी शुरुआत होने के साथ ही सीटों की अनुमति मिली है. यहां चार सीटें सेकेण्ड ईयर और चार सीटें फर्स्ट ईयर में संचालित हो रही है.
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सीएम रावत ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में जांच संबंधी जो भी परेशानियां मरीजों को होती थी, उसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. अभी तक महिलाओं के लिए स्तन बायोप्सी की जांच नहीं हो पाती थी, लेकिन अब वो भी शुरू हो गई है. इस जांच के लिए महिलाएं मेडिकल कॉलेज के बेस चिकित्सालय पहुंच सकती है. डॉ सीएमएस रावत का कहना है कि उत्तराखंड सरकार का उद्देश्य है कि कम से कम खर्च में मरीजों को चिकित्सकीय उपचार मिले. बोनमारो एस्पिरेशन, बोनमारो बायोप्सी और ट्रू कट बायोप्सी की सुविधा भी यहां मिलेगी.
क्या है बायोप्सी
बायोप्सी (Biopsy) एक ऐसी मेडिकल जांच प्रक्रिया है, जिसमें ऊतक (टिश्यू) का एक छोटा सा सैंपल लेकर माइक्रोस्कोप से उसकी जांच की जाती है. ऊतक (टिश्यू) का सैंपल त्वचा, पेट, किडनी, लिवर और फेफड़े के अलावा व्यक्ति के शरीर में कहीं से भी लिया जा सकता है. बायोप्सी आमतौर पर व्यक्ति में बीमारियों की असली वजह का पता लगाने और अलग-अलग तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार के लिए की जाती है. इसके अलावा यह असामान्य कोशिकाओं की पहचान करने और विशेष तरह की बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है. बायोप्सी का उपयोग यह मापने के लिए भी किया जा सकता है कि कोई भी बीमारी कितनी गंभीर है या यह किस स्तर पर पहुंची चुकी है.