“जहर परख रकाबी” प्लेट मे जहरीला खाना डालते ही हो जाते थे कई टुकड़े, ताज म्यूजियम  मे रखी है ये प्लेट, जानिए कैसे करती थी काम ?

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आगरा: गर्म खाने को गर्म या ठंडे पेय को ठंडा रखनेवाले बर्तन तो आप भी यूज करते होंगे, लेकिन किसी बर्तन की ऐसी विशेषता के बारे में शायद आपने पहले नहीं सुना-जाना होगा। आगरा के ताज म्यूजियम में खाने की एक बेहद खास प्लेट रखी हुई है. शीशे के फ्रेम में सुरक्षित इस प्लेट की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से होती है. इस प्लेट समेत अन्य संग्रहित सामानों की सुरक्षा के लिए वहां कई सुरक्षा बल लगे हुए हैं. इस प्लेट का नाम है- जहर परख रकाबी यानी जहर की पहचान करनेवाली तश्तरी. प्लेट के ऊपर इसके बारे में डिटेल में लिखा हुआ है कि चीनी मिट्टी से बना यह बर्तन विषाक्त भोजन परोसने से रंग बदल लेता है या फिर टूट जाता है. ताज म्यूजियम में रखी यह प्लेट मुगल बादशाह शाहजहां की है।

ताकि किसी जानलेवा साजिश का शिकार हों

मुगल शासकों की दुनिया भी अजीब हुआ करती थी. साजिशों से भरी. गद्दी के लिए अपने ही अपनों का कत्ल करवाने से नहीं कतराते थे. औरंगजेब ने तो गद्दी के लिए अपने भाई दारा शिकोह का सिर कलम करवा दिया था, जबकि अपने पिता शाहजहां को कैदखाने में बंद कर रखा था. अपनों से ही जान का खतरा होने की आशंका पर मुगल शासक काफी सावधानी बरतते थे.

सलमा युसूफ हुसैन की एक किताब है- ‘द मुगल फीस्ट: रेसिपीज फ्रॉम द किचन ऑफ एम्परर शाहजहां’. इसमें उन्होंने बताया है कि मुगल बादशाह आमतौर पर अपनी रानियों और हरम में रहने वाली स्त्रियों के साथ भोजन किया करते थे. वहीं उत्सव के अवसरों को छोड़कर वह रईसों और खास दरबारियों के साथ भोजन करते थे. उन्हें भोजन आमतौर पर किन्नर पररोसते थे.

भोजन में कहीं जहर मिलाकर न दे दिया जाए, इसके प्रति खूब सावधानी बरती जाती थी. शाहजहां के पास ऐसी प्लेट थी, जिसमें जहरीला खाना डालते ही या तो उसका रंग बदल जाता था या फिर वह टूट जाता था. जहरीले खाने की पहचान करनेवाली यह तश्तरी बेहद खास थी, जो आज भी आगरा के ताज म्यूजियम में रखी हुई है.

कामोत्तेजना बढ़ाने को चावल के दानों पर चांदी का लेप

शाहजहां के लिए खाने का मेनू शाही हकीम तय करते थे. उसी मेनू के अनुसार शाही रसोई में खाना बना करता था. पुलाव के चावल के प्रत्येक दाने पर चांदी का वर्क लेपा जाता था. ऐसा मेनू तय करने के पीछे हकीम का तर्क था कि चांदी के लेप वाले चावल से पाचन क्रिया सही रहती है और ऐसे चावल से बना व्यंजन कामोत्तेजना बढ़ाने में कारगर होता है. हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है, इसका प्रमाण उपलब्ध नहीं है.

8 साल कैदखाने में रहे, फेवरेट डिशछोला

शाहजहां खानपान के बड़े शौकीन थे. हालांकि इस मुगल बादशाह ने अपने जीवन के आखिरी कुछ बरस बहुत कष्ट में बिताए. गद्दी की खातिर बेटे औरंगजेब ने उन्हें आगरा के किले में कैद करवा दिया था. पूरे आठ साल तक वो कैदखाने में रहे. 1666 में शाहजहां की मृत्यु हो गई. कहा जाता है कि औरंगजेब ने ऐसा आदेश दिया था कि उनके पिता शाहजहां को कैदखाने में उनकी पसंद की केवल एक ही डिश दी जाए. ऐसे में शाहजहां ने छोले को चुना था.

छोले के चयन के पीछे भी खास वजह थी. कहा जाता है कि शाहजहां ने छोले को इसलिए चुना था क्योंकि उसे अलग-अलग कई तरीकों से पकाया जा सकता है. इससे एक ही डिश में उन्हें कई तरह के स्वाद मिल जाते थे. उत्तर भारत में तो शाहजहां के नाम से एक खास छोला व्यंजन भी फेमस है- शाहजहानी दाल. मलाई से भरपूर ग्रेवी तैयार कर छोले डालकर पकाने पर यह तैयार होता है.

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