देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस गुटबाजी में फंस गई है। इस पर कोई भी लगाम नहीं लगा पा रहा है। इस वजह से न तो जनता की नजर में पार्टी की छवि सुधर पा रही है और न ही संगठन मजबूत बन पा रहा है। इस प्रकार की समस्याओं का समाधान खोजने की जिम्मेदारी प्रदेश प्रभारी की होती है। एआईसीसी के पूर्व सदस्य व उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष योगेंद्र खंडूड़ी ने इन्हीं शब्दों के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने उत्तराखंड कांग्रेस के हालत पर चिंता जताते हुए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को बदलकर किसी वरिष्ठ नेता को यह जिम्मेदारी दिए जाने की मांग की है। पत्र में खंडूड़ी ने कहा है कि किसी भी प्रदेश में पार्टी की गतिविधियों और उनके परिणामों के लिए प्रदेश प्रभारी जिम्मेदार होता है।
राज्य में पार्टी सही दिशा में चले, इसीलिए प्रदेश प्रभारी की नियुक्ति की जाती है। यही वजह है कि वर्तमान प्रभारी से पूर्व राज्य में प्रभारी के रूप में अत्यंत अनुभवी, वरिष्ठ व बड़े व्यक्ति के लोगों को ही प्रभारी की जिम्मेदारी दी जाती रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड कांग्रेस की स्थिति का आकलन करने के लिए ऐसे व्यक्ति को भेजा जाए, जिसकी जानकारी न प्रभारी को हो और न ही राज्य के वरिष्ठ नेताओं को, ताकि वह अपनी निष्पक्ष व यथार्थ रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को दे सके।
सेल्फ गोल करने में लगे हैं पार्टी के नेता : हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर कांग्रेस के बयानवीर नेताओं को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस के नेताओं को भाजपा के झूठ को बेनकाब करना चाहिए, तब वह सेल्फ गोल करने में लगे हैं।
हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता और कार्यकर्ता बार-बार मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे को नहीं उठाने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि वह इस मुद्दे को नहीं उठाते हैं तो भाजपा भविष्य में भी इस गड़े मुर्दे की बदबू फिर फैलाएगी। उन्होंने कहा कि 55 साल राजनीतिक जीवन में बिताने के बाद भी वह युवाओं की तरह लड़ने को तैयार हैं।
उन्होंने पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह पर भी निशाना साधा। कहा कि हमारे नेता कह रहे हैं कि हम मुख्यमंत्री की लड़ाई की वजह से हारे। ऐसे नेताओं को वह प्रणाम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह पहले भी कह चुके हैं धामी सरकार मुस्लिम यूनिवर्सिटी के झूठ के गर्भ से पैदा हुई, जबकि हमारे नेता कह रहे हैं कि हमारी हार आपसी लड़ाई के कारण हुई है।
बता दें कि कुछ दिन पूर्व हरीश रावत ने एक बार फिर मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा उठाते हुए भाजपा पर वार किए तो कांग्रेस के ही कुछ नेताओं ने अपने-अपने तरीके से उन्हें इस मुद्दे को बार-बार नहीं उठाने की नसीहत दे डाली। इससे हरीश खासे नाराज बताए जा रहे हैं।