पांच देशों में कोरोना मामले बढ़ने के बाद भारत सरकार अलर्ट, राज्यों को दिए ये निर्देश

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नई दिल्ली: चीन और अमेरिका में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की तरफ से NCDC और ICMR को चिट्ठी लिखी गई है. कहा गया है कि सभी राज्यों को जीनोम सीक्वेंसिंग पर जोर देना होगा. इस समय देश में कोरोना के मामले ज्यादा नहीं हैं, मौतें भी काफी कम हो गई हैं. लेकिन क्योंकि पूरी दुनिया में ये वायरस फिर पैस पसार रहा है, ऐसे में सरकार भी कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहती है.

मामले कम लेकिन सरकार सतर्क

इसी वजह से स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की तरफ से NCDC और ICMR को चिट्ठी लिखी गई है. उस चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि अगर कोरोना के नए वैरिएंट्स की समय रहते पहचान करनी है, इसके लिए जीनोम सीक्वेंसिंग जरूरी है. राज्यों को भी निर्देश दिया गया है कि वे जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल भेजें.इसके अलावा कल स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया एक रिव्यू मीटिंग भी करने जा रहे हैं. वैसे एक तरफ भारत सरकार सभी राज्यों को सावधान रहने के लिए कह रही है, वहीं दूसरी तरफ पैनिक ना करने की भी नसीहत दे रही है.

भारत में स्थिति बेहतर क्यों?

मंगलवार को एंटी टास्क फोर्स के वरिष्ठ सदस्य और कोविड टीकाकरण अभियान के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने दो टूक कहा है कि भारत को चीन की स्थिति से चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है. वे कहते हैं कि हम सुन रहे हैं कि चीन में कोरोना वायरस फिर तेजी से पैर पसार रहा है. लेकिन भारत की बात करें तो यहां बड़े स्तर पर टीकाकरण किया जा चुका है. एडल्ट पॉपुलेशन में तो ज्यादातर लोगों को टीका लग चुका है. एनके अरोड़ा ने ये जानकारी भी दी है कि दुनिया में अब तक जितने भी कोरोना के सब वैरिएंट आए हैं, उनके मामले भारत में मिल चुके हैं. ऐसे में सिर्फ सावधानी बरतने की जरूरत है, चिंता करने की नहीं.

चीन की सबसे बड़ी टेंशन क्या?

अब यहां ये समझना जरूरी है कि भारत और चीन की स्थिति में काफी फर्क है. चीन में इस समय कोरोना विस्फोट इसलिए हुआ है क्योंकि वहां पर बड़े स्तर पर अभी तक टीकाकरण नहीं किया गया है. उसकी बुजुर्ग आबादी में तो कई लोगों ने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई है. चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, अब तक 60 साल से ऊपर की 87% आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी है, लेकिन 80 साल से ज्यादा उम्र के सिर्फ 66.4% बुजुर्गों को ही वैक्सीन लगी है.

वो गलती जिसने चीन में हालात किए बेकाबू

चीन के साथ एक समस्या ये भी रही है कि उसने शुरुआत से कोरोना के खिलाफ बहुत ही आक्रमक नीति का पालन किया. उसने लंबे समय तक देश में जीरो कोविड पॉलिसी को लागू रखा. इस वजह से दूसरे देशों की तुलना में मामले तो कम आए, लेकिन जमीन पर स्थिति ज्यादा नहीं सुधरी. कुछ समय बाद ही लोगों ने आपा खो दिया और सड़क पर चीनी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ. उस प्रदर्शन की वजह से चीन को फिर अपनी नीतियों में कई बदलाव करने पड़ गए, जीरो कोविड पॉलिसी में भी ढील देनी पड़ी. नतीजा ये हुआ कि अब चीन में रिकॉर्ड कोरोना मामले दर्ज किए जा रहे हैं. हालात ऐसे बन गए हैं कि अस्पताल में मरीजों के लिए बेड नहीं है. शवों का अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है और कई मरीजों को जरूरी दवाइयां भी नहीं मिल रही हैं.

बड़ी बात ये भी है कि इस समय चीन के ज्यादातर लोगों में कोरोना से लड़ने की इम्युनिटी नहीं है. इसका कारण ये है कि जीरो कोविड पॉलिसी वजह की से वे लोग अपने घर से ही बाहर नहीं निकले थे. इस प्रकार की पाबंदियां लगा दी गई थीं, कि वे एक बार भी संक्रमित नहीं हुए. ऐसे में कोरोना के खिलाफ उनके शरीर में कोई इम्युनिटी नहीं बनी. वहीं इस समय जो ओमिक्रॉन का सब वैरिएंट कहर बरपा रहा है, वो तो वैक्सीन को भी चकमा दे सकता है. इस वजह से भी जमीन पर चीन में स्थिति ज्यादा विस्फोटक बनी हुई है.

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