नई दिल्ली : देश में बढ़ते अनाज की कीमतों को कम करने के लिए केंद्र सरकार कदम उठा रही है. पिछले कुछ महीने में देश में गेहूं के रेटों मेें बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. इसका असर आटे पर पड़ा है. आटे की कीमत बढ़ गई है. बढ़े आटे की कीमत का नुकसान यह हुआ कि रोटी महंगी हुई और आमजनों का रसोई बजट बिगड़ना शुरू हो गया. अब केंद्र सरकार इसी बजट को नियंत्रण करने के लिए कदम उठा रही है. केंद्र सरकार की कोशिश बढ़ते आटे की कीमतों पर लगाम लगाने की है. इसको लेकर शीर्ष स्तर पर काम भी शुरू कर दिया गया है.
केंद्र सरकार इस तरह घटाएगी आटे की कीमत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने गेहूं की कीमतों को लेकर वर्ष 2023 के लिए एक खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) नीति पेश की है. इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार थोक विक्रेताओं को एफसीआई से 15 से 20 लाख टन अनाज जारी करेगी. केंद्र सरकार के पास गेहूं का प्रॉपर स्टॉकेज है. इसलिए अनाज का संकट पैदा नहीं होगा. वहीं इस साल गेहूं की बुवाई भी बंपर अधिक हो रही है. देश में गेहूं का रकबा तेजी से बढ़ा है.
इस तरह बढ़ी आटे की कीमतें
खुद उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल इसी गेहूं का औसत रिटेल रेट 28.53 रुपये प्रति किलोग्राम था. जबकि इसी अवधि में 27 दिसंबर 2023 को गेहूं का रिटेल रेट 32.25 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया. गेहूं की कीमतें बढ़ी तो आटे की कीमतों पर भी इसका असर पड़ा आटे की कीमत एक साल पहले 31.74 रुपये प्रति किलोग्राम थीं. इस साल यह बढ़कर 37.25 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. बता दें कि केंद्र सरकार की ओएमएसएस नीति बेहद महत्वपूर्ण है. देश में अनाज संकट की स्थिति दिखने सरकारी उपक्रम, भारतीय खाद्य निगम (FCI) को अनुमति देती है कि थोक उपभोक्ताओं और निजी व्यापारियों को खुले बाजार में पूर्व-निर्धारित कीमतों पर खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं और चावल बेच दिया जाए. इससे बाजार में चल रहा खाद्यान्न का खत्म या कम हो जाता है.
इन वजहों से घट गया था गेहूं का उत्पादन
केंद्र सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले साल गेहूं उत्पादन में कमी देखने को मिली थी. इसके पीछे यूक्रेन-रूस युद्ध को बड़ा कारण माना गया. इसके अलावा पिछले साल लू का प्रभाव भी गेहूं की फसल पर देखा गया. लू से गेहूं की फसल प्रभावित हुई और उत्पादन घट गया. केंद्र सरकार के आंकड़ों पर गौर करें तो 15 दिसंबर तक केंद्रीय पूल में करीब 180 लाख टन गेहूं और 111 लाख टन चावल उपलब्ध था. सप्लाई कम होेने क चलते फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं उत्पादन घटकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन रह जाना है. एक साल पहले यह वर्ष 10 करोड़ 95.9 लाख टन था. अब जो नई गेहूं खरीद की जानी है. उसकी शुरुआत अप्रैल 2023 से होगी.
सरकार ने निर्यात पर रोक लगाया था
नतीजतन, घरेलू उत्पादन में कमी और निजी कंपनियों की आक्रामक खरीद के कारण सरकारी स्वामित्व वाले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा गेहूं की खरीद अपने पिछले वर्ष के 434.44 लाख टन से घटकर विपणन वर्ष 2022-23 में 187.92 लाख टन रह गई। इस साल मई में सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।