मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद (Moradabad) में 17 साल की युवा अवस्था में घर वालों से नाराज़ होकर घर छोड़ चुके 70 साल के एक बुज़ुर्ग को सोशल मीडिया के ज़रिए परिवार वालों ने पहचान लिया और 52 साल बाद उन्हें मना कर घर ले आये, जिसके बाद से गांव में ख़ुशी का माहौल है और लोग इन बुज़ुर्ग से मिलने आ रहे हैं. अब परिवार वाले उस यू-ट्यूबर को दुआएं दे रहे हैं जिसने दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर रिक्शा चला रहे बुज़ुर्ग की मदद की और उनसे उनके परिवार के बारे में जानकारी कर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया और यह वीडियो मुरादाबाद के तेवर खास गांव तक पहुंच गया जिसे बुज़ुर्ग के भतीजे ने देखा और परिवार के लोगों को बताया तो परिवार के लोगो ने दिल्ली पहुंच कर बुज़ुर्ग की तलाश की और उन्हें कामयाबी मिल गयी और 52 साल पहले घर छोड़ चुके बुज़ुर्ग को मुरादाबाद अपने घर ले आये.
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली के यूट्यूबर मुशाहिद खान ने कुछ दिन पहले एक वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर की गई थी, जिसमें मुशाहिद खान के द्वारा एक बुजुर्ग की मेहनत की कहानी को साझा किया गया था, जिसमें बुजुर्ग 70 साल की उम्र में सड़क पर रिक्शा चला कर अपना गुजर-बसर कर रहा था. बुजुर्ग को खूब मेहनत करता देख यूट्यूबर मुशाहिद खान ने अपनी बेटी के साथ बुजुर्ग रिक्शा चालक की मदद करने के लिए 2500 दिए थे, जिसके बाद मुशाहिद के द्वारा बुजुर्ग से मेहनत को लेकर जानकारी की गई, तो बुजुर्ग द्वारा हैरान करने वाली जानकारी मुशाहिद से साझा की गई.
जाहिद के द्वारा बताया गया कि 52 साल पहले वह अपने परिवार से 17 साल की उम्र में नाराज होकर घर से निकले थे, कभी वापस अपने गांव तेवर खास नहीं गए, ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वायरल वीडियो मुरादाबाद के कुंदरकी में ज़ाहिद के तेवर खास गांव उसके घर तक पहुंचा तो ज़ाहिद के परिजन सलमान तलाश करने के लिए अपने परिवार के कई लोगों के साथ दिल्ली पहुंच गए. 2 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद जाहिद दिल्ली में रिक्शा चलाते हुए परिवार वालों से मिले, तो परिजनों ने नाराज बुजुर्ग जाहिद को मनाया और वापस अपने साथ कुंदरकी के तेवर खास गांव ले आए.
1970 में परिवार में हुई मामूली कहासुनी को लेकर जाहिद ने 17 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया गया था और काम की तलाश में घर से निकल गए थे. जाहिद ने मेहनत मजदूरी करते हुए अपने जीवन के 52 साल सड़कों पर गुजार दिए, 52 सालों में कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया, मेहनत मशक्कत करते हुए अपने जीवन के 52 साल सड़कों पर गुजार दिए इस दौरान वह कभी नेपाल बॉर्डर को कभी बंगाल, बिहार घूमते रहे और आखिर में दिल्ली को अपना ठिकाना बनाया, लेकिन उस्मान ने कभी शादी नहीं की क्योंकि शादी करने पर उसे डर था कि पत्नी या होने वाले बच्चे उस से उसका मूल निवास और खानदान के बारे में न पूछ लें. इसलिए उसने शादी नहीं की और रिक्शा चला कर गुज़र बसर करता रहा.