’40 साल से बने आशियानों को खोने का डर’ 4000 परिवारों को नोटिस जारी, अब SC से मदद की आस, कल सुनवाई…

खबर उत्तराखंड

हल्द्वानी: उत्तराखंड (Uttarakhand) के हल्द्वानी (Haldwani) में रेलवे के स्वामित्व वाले क्षेत्र में रह रहे 4,000 से अधिक परिवारों को बेदखली का नोटिस जारी किया गया है.नोटिस जारी होने के बाद इन परिवारों को बेघर होने का खतरा सता रहा है. इस बीच, यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार यानि 5 जनवरी को सुनवाई करने को कहा है. दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी के शराफत खान समेत 11 लोगों की याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की ओर से दाखिल की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करने को कहा है. अब चार हजार से अधिक लोगों की नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं.

लोग सड़कों पर उतरकर कर रहे प्रदर्शन

बता दें कि नोटिस जारी होने के बाद हजारों लोग अपने घरों से बेघर होने के डर से सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. कई लोगों ने कैंडिल मार्च निकाला है. वहीं, कुछ लोग ये मांग कर रहे हैं कि पहले उन्हें बसाया जाए, फिर घर खाली कराया जाए. रेलवे की ओर से दावा किया जा रहा है कि ये लोग पिछले कई सालों से अनधिकृत कॉलोनियों में रह रहे हैं.

वहीं, इस मामले में हल्द्वानी के वनभूलपुरा गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने रेलवे को अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर नोटिस देकर ध्वस्तीकरण करने के आदेश दिए हैं.अतिक्रमणकारियों में से कुछ दशकों से वहां रह रहे हैं और अदालत के आदेश का विरोध कर रहे हैं.

रेलवे ने ढांचों को गिराने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है

बता दें कि रेलवे अधिकारियों ने रेलवे की 2.2 किलोमीटर लंबी पट्टी पर बने घरों और अन्य ढांचों को गिराने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है. अतिक्रमणकारियों से लाइसेंसी हथियार जमा करने को कहा गया है. हल्द्वानी रेलवे भूमि का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. बताया जा रहा है कि रेलवे की नोटिस के अनुसार, 4,365 अतिक्रमण उस क्षेत्र से हटाए जाएंगे. ये लोग 40 साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं. रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमित क्षेत्र का सीमांकन करने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण किया गया था.

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