दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने 6 महीने का और समय मांगा है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने के लिए छह महीनों की और जरूरत है, इसके बिना इसे लागू नहीं किया जा सकता है। बता दें कि लगातार 7वीं बार समय अवधि को बढ़ाने की मांग की गई है। इस अधिनियम को 2019 में पास किया गया था। इस अधिनियम को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, सिख, पारसी, क्रिस्चियन, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए लाया गया था। इस अधिनियम के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले जो भा लोग बिना दस्तावेज भारत में आए हैं उन्हें नागरिकता दी जाएगी।
24 नवंबर एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने कहा था कि महामारी के चलते इस अधिनियम को लागू करने में कुछ देरी हुई है। सीएए देश का कानून है, जो लोग यह सपना देख रहे हैं कि सीएए लागू नहीं होगा, वह गलत हैं, यह जरूर लागू होगा। गौर करने वाली बात है कि इस एक्ट के तहत अधिकतर उत्तर-पूर्व राज्यों को छूट दी गई है। सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय ने 6 महीने का और समय मांगा है ताकि इसे लागू किया जा सके। राज्य सभा की कमेटी ने इसे स्वीकार कर लिया है और 30 जून तक का समय दिया है, वहीं लोकसभा कमेटी के फैसले का अभी इंतजार है।
इससे पहले मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई थी कि हमे 31 दिसंबर 2022 तक का समय चाहिए ताकि नियम बनाए जा सके, वहीं लोकसभा से 9 जनवरी 2023 तक का समय मांगा गया ता। संसद की मैन्युअल के अनुसार अगर मंत्रालय तय समयसीमा में कानून नहीं तैयार करती है तो कानून के पास होने के बाद उसे छह महीने का समय दिया जा सकता है। इसके बाद उन्हें वजह बताते हुए अतिरिक्त समय के लिए अपील करनी होगी।
सरकार ने 11 दिसंबर 2019 में सीएए कानून को संसद में पास किया था, इसके बाद 12 दिसंबर को इसपर राष्ट्रपति ने भी अपनी सहमति दे दी थी। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करके कहा था कि 10 जनवरी 2020 को यह लागू हो जाएगा। लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है। बता दें कि इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन में तकरीबन 83 लोगों की जान चली गई थी। असम, उत्तर प्रदेश, मेघालय, दिल्ली में लोगों की जान गई है।