अखिलेश का आरोप: वैज्ञानिकों पर दबाव डाल जोशीमठ की दरारों को छिपा रही सरकार… धामी ने किया पलटवार, दिया ये जवाब…

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लखनऊ: भू-धंसाव जैसी आपदा का सामना कर रहे उत्तराखंड के जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में है. हिमालयी शहर में जमीन के दिन-ब-दिन और धंसने और इमारतों में पड़ी दरारों के और चौड़ा होने के कारण वहां के बाशिंदों को अपना जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत की तरह नजर आने लगा है. इस बीच सरकार लोगों की निकासी और जर्जर हो गए ढांचों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर रही है. वहीं, जोशीमठ को लेकर सियासी पारा भी चढ़ने लगा है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने धामी सरकार पर तीखा प्रहार किया है.

अखिलेश ने कहा कि राजनीतिक प्रभाव से वैज्ञानिकों पर दबाव बनाकर, जोशीमठ की दरारों की सच्चाई छिपाने की बीजेपी सरकार की कोशिश घोर निंदनीय है. लाखों लोगों की जिंदगी दांव पर लगी होने की वजह से ये बहुत गंभीर विषय है. जोशीमठ की परियोजनाओं के बारे में पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) की रिपोर्ट का खुलासा हो. उधर, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अखिलेश को पलटवार करते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है…देश के किसी भी कोने में बैठकर लोग उत्तराखंड के बारे में अपनी-अपनी बातें रख रहे हैं, तो ये बिलकुल भी ठीक नहीं है, क्योंकि वहां के हालात ऐसे नहीं है. वहां पर आज भी 65-70 फीसदी लोग सामान्य रुप से अपना काम कर रहे हैं. 4 महीने बाद चार धाम यात्रा शुरू होने वाला है, इसलिए इस तरह का माहौल बनाना ठीक नहीं है.

जोशीमठ खतरे में, हाथ पर हाथ धरे बैठा सरकारी तंत्र- कांग्रेस

वहीं, बीते दिन मंगलवार को गोपेश्वर में जोशीमठ में आपदा पीड़ितों से मिलने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा पहुंचे. यहां उन्होंने उत्तराखंड सरकार पर जोशीमठ पर आसन्न खतरे को जानने के बावजूद हाथ पर हाथ धरे बैठने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह प्राकृतिक से ज्यादा परिस्थितिजन्य आपदा है. जोशीमठ नगर खतरे में है, यह जानते हुए भी हमारा सरकारी-तंत्र हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा. इस संबंध में दशकों पहले गठित मिश्रा समिति का हवाला देते हुए टम्टा ने कहा कि 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जोशीमठ के भूधंसाव को लेकर पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट का पत्र मिलते ही इस क्षेत्र के बचाव के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकारों ने यहां के खतरों को नजरअंदाज कर विकास के नाम पर विनाशकारी योजनाएं थोपीं, जिससे हमारी यह ऐतिहासिक नगरी कराह रही है और उसका नतीजा जोशीमठ के सामान्य और गरीब परिवार भुगत रहे हैं.

ममता ने साधा केंद्र पर निशाना

उधर, मंगलवार को ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी जोशीमठ की स्थिति को बेहद खतरनाक करार दिया था. उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार को हिमालयी शहर के लोगों की सुरक्षा के लिए युद्ध स्तर पर कदम उठाने चाहिए. ममता ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार को इस तथ्य को देखते हुए बहुत पहले ही एहतियाती उपाय करने चाहिए थे कि जोशीमठ में जमीन धंसने का पूर्वानुमान पहले ही लगाया जा चुका था.

ममता ने सवाल उठाते हुए कहा कि चेतावनी के बावजूद आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए गए? जोशीमठ में स्थिति बहुत खतरनाक है. इस आपदा के लिए पहाड़ी शहर के निवासी जिम्मेदार नहीं हैं. आपदा होने पर लोगों की देखभाल करना सरकार का कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि सरकार को युद्धस्तर पर कदम उठाने चाहिए, ताकि लोगों को परेशानी न हो.

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