देहरादून: के राजपुर रोड शिव बालयोगी आश्रम परिसर में बिहारी महासभा द्वारा सरस्वती पूजा का कार्यक्रम की तैयारी पूरी हो गई । इस कार्यक्रम में सरस्वती की प्रतिमा धूमधाम से स्थापित की। जाएगी और विधिा-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी । बिहारी महासभा द्वारा आयोजित सरस्वती पूजन उत्सव कार्यक्रम में शिव बाल योगी आश्रम का परिसर रौशनी के चकाचैंध रहेगा । चारों तरफ मां सरस्वती पूजनोत्सव के सजावटी सामान और अन्य तरह के डेकोरेशन से मां सरस्वती की प्रतिमा सजाई जा रही है । बताते चलें कि बिहारी महासभा द्वारा पिछले 16 वर्षों से सरस्वती पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन बसंत पंचमी के दिन किया जाता है। इस आयोजन में सभा के हजारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं और सब मिलजुलकर के आपसी सौहार्द बना कर बसंत पंचमी का कार्यक्रम करते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10 बजे मूर्ति पूजन से की जाएगी , जिसमें इंद्रमोहन झा पुजारी के रूप में एवं जजमान के रूप में शशीकांत गिरी रहेंगे 3 घंटे तक विधि-विधान के साथ मूर्ति स्थापन, कलश पूजा, आरती, हवन आदि का आयोजन किया जाएगा । उसके बाद दोपहर 1 बजे से भंडारे का आयोजन किया गया है जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों ने प्रसाद की व्यवस्था की गई है भंडारे के बाद शाम 6 बजे माता की आरती का आयोजन किया जाएगा ।
कार्यक्रम में उत्तराखंड सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी जिस में प्रमुखता से पूर्व मुख्य सचिव ओमप्रकाश उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ,सचिव राधिका झा, सचिव नितीश कुमार झा, प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांश एवं पुलिस अधिकारियों में मुख्य रूप से डीजीपी अशोक कुमार , एडीजी अमित सिन्हा , एडीजीपी अंशुमन अपर सचिव गृह निवेदिता कुकरेती , नगर एसपी श्वेता चैबे ,सहित कई गणमान्य सदस्यों को निमंत्रण भेजा गया है
वहीं राजनीतिक अतिथियों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, सरकार के काबीना मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक अरविंद पांडे सहित कई दिग्गज नेताओ निमंत्रण पत्र भेजा जा रहा है ।
कार्यक्रम में बिहारी महासभा की ओर से अतिथियों का स्वागत सम्मान किया गया एवं बिहारी महासभा के सचिव चंदन कुमार झा की ओर से यह निवेदन किया गया कि अगले वर्ष से सरस्वती पूजा के दिन अन्य प्रदेशों की तरह इस प्रदेश में भी सार्वजनिक अवकाश घोषित कर शिक्षण संस्थानों- स्कूल, मेडिकल कॉलेज, सरकारी कॉलेज, गैर सरकारी कॉलेज में सरस्वती पूजा को अनिवार्य किया जाए। यह मांग सरकार और शासन के लोगों से की गइ।
बिहारी महासभा के सरस्वती पूजा कार्यक्रम में सभा के अध्यक्ष ललन सिंह , संरक्षक सत्येंद्र सिंह ,कोषाध्यक्ष रितेश कुमार सदस्य के रूप में आलोक सिन्हा, अमरेंद्र कुमार, उमेश राय, डॉक्टर रंजन कुमार, विद्या भूषण सिंह, विनय कुमार यादव, धर्मेंद्र कुमार, गणेश कुमार, अजय कुमार, डीके सिंह, सहित हजारों कार्यकर्ताओं ने शिरकत की।
बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि सरस्वती माता विद्या एवं संगीत की देवी कही जाती है। यह श्वेत वस्त्र धारण करती है। इसका वाहन हंस है, इनके हाथों में वीणा पुस्तक कमल एवं माला होती है। यह ज्ञान की देवी हर मनुष्य को बुद्धि प्रदान कर सकती है। माता स्वभाव से अत्यंत कोमल होती है। मां शारदा विद्या दायिनी बागेश्वरी वाणी आदि नामों से इन्हें पुकारा भी जाता है। मान्यता यह भी है कि माता सरस्वती का जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था, इसलिए इसी दिन इनकी पूजा का महत्व सभी पुराणों में मिलता है। लेकिन दुर्गा नवमी के समय भी सरस्वती पूजा का महत्व होता है। मान्यता के अनुसार नव दुर्गा के दूसरे दिन माता सरस्वती का पूजन किया जाता है। कई जगहों पर पूरे 9 दिन मां सरस्वती मां दुर्गा माता लक्ष्मी की प्रतिमा बैठाकर विधि विधान से इनकी पूजा की जाती है
आज की बैठक में मौजूद लोगो को संबोधित करते हुए अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि संगीत एवं कला के प्रेमी मां सरस्वती माता का पूजन पूरे उत्साह एवं उल्लास से करते हैं। माता सरस्वती की पूजा से मनुष्य में ज्ञान का विकास होता है। इन्ही की कृपा से मनुष्य बंदर योनि से इंसान बना मनुष्य में सभ्यता का विकास हुआ। मां सरस्वती ब्रह्मा जी की अर्धांगिनी कहलाती है, जिन्होंने सृष्टि की रचना की और उसी सृष्टि में देवी सरस्वती ने ज्ञान कला एवं सभ्यता का विकास किया। सरस्वती देवी की पूजा से मंदबुद्धि यों का विकास होता है, अर्थात जो व्यक्ति मन को एकाग्र करते हुए मां के चरणों में स्वयं को समर्पित करता है उसका विकास निश्चित रूप से होता है। मां सरस्वती की पूजा अर्चना में जड़ मंदबुद्धि कालिदास के जीवन का उद्धार हुआ और वह एक सफल कवि के रूप में विश्व विख्यात हुए उत्तराखंड सहित देश के अन्य राज्यों में भी शिक्षा के मंदिर एवं संगीत ताले में मां सरस्वती की पूजा की जाती है ।
मौके पर मौजूद वक्ताओं ने बताया कि सरस्वती वंदना एवं स्रोत का पाठ एवं गायन भी किया जाता है। सरस्वती माता की पूजा में सरस्वती वंदना का बहुत ही विशेष महत्व है। सरस्वती माता की पूजा का महत्व मूल्य तह वर्ष में दो बार निकलता है। एक बसंत पंचमी के दिन और दूसरा नव दुर्गा के समय विद्यादायिनी मां सरस्वती श्वेत पत्र धारिणी है। इनकी पूजा हर घर में की जाती है। मां सरस्वती विद्या एवं कला की देवी है। इन्हें नवदुर्गा में स्थापित किया जाता है और पूरे विधान के साथ पूजा कर इनके घट की स्थापना की जाती है। पौराणिक मान्यता यह भी है कि इन 9 दिनों में पांचवें दिन से माता सरस्वती की प्रतिमा बैठाई जाती है और नवमी के दिन विधि विधान से पूजा कर इन का विसर्जन किया जाता है।
मां सरस्वती की पूजा के विशेष नियम होते हैं जिसे जानना पूजा को सफल बनाने के लिए बहुत जरूरी होता है। यहां पर घर में सरस्वती पूजा करने की समस्त जानकारियां दी जाती है। जिस दिन सरस्वती की पूजा होती है उस दिन पूजा पर बैठने वाले जजमान को सुबह उठने की आवश्यकता होती है। सुबह नहाते समय पानी में नीम और तुलसी मिलाकर पीते हैं। प्रातः काल में स्नान के पूर्व शरीर पर हल्दी और नीम का लेप लगाना चाहिए । इससे शरीर पूरी तरह शुद्ध हो जाता है। इसके बाद सफेद या नीला कपड़ा पहनना चाहिए। जिस स्थान पर पूजा की जाती है वहां साफ सफाई करना चाहिए और स्थान को फूल आदि से सजाकर मां की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। यह भी आवश्यक है की प्रतिमा स्थापित करने के बाद दवात और दूध से भरा जाता है और उसमें लकड़ी का एक कलम रखा जाता है। साथ ही कुछ किताबें और कोई वाद्य यंत्र हो तो मां के चरणों के पास रखा जाता है। इस तरह के कई अनेक नियम सरस्वती पूजा को लेकर के हैं।
बिहारी महासभा के सरस्वती पूजा तैयारी बैठक में मुख्य रूप से सभा के अध्यक्ष ललन सिंह सचिव चंदन कुमार झा कोषाध्यक्ष रितेश कुमार के साथ-साथ पूर्व अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार डॉक्टर रंजन कुमार विद्या भूषण सिंह राजेश कुमार गोविंदगढ़ मंडल के अध्यक्ष विनय कुमार यादव मंडल सचिव गणेश साहनी कोषाध्यक्ष विजय पाल के साथ-साथ सुरेश ठाकुर धर्मेंद्र ठाकुर दिनेश कुमार कार्यकारिणी सदस्य राजेश रोशन के साथ-साथ बिहारी महासभा के हजारों की संख्या में सदस्यों ने वसंत पंचमी कार्यक्रम तैयारी की बैठक में भाग लिया ।।