देहरादून: देहारादून मे राजपुर रोड स्थित शिव बालयोगी आश्रम परिसर में बिहारी महासभा द्वारा सरस्वती पूजा का आयोजन किया गया, कार्यक्रम में सरस्वती की प्रतिमा मंत्रोच्चार एवं पारंपरिक तरीके से स्थापित की गई माता के जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठा। बिहारी महासभा द्वारा आयोजित सरस्वती पूजन उत्सव कार्यक्रम में शिव बाल योगी आश्रम का परिसर रौशनी से चकाचैंध रहा चारों तरफ मां सरस्वती पूजनोत्सव के सजावटी सामान और अन्य तरह के डेकोरेशन से मां सरस्वती की प्रतिमा सजाई गई ।
बताते चलें कि बिहारी महासभा द्वारा पिछले 18 वर्षों से सरस्वती पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन बसंत पंचमी के दिन किया जाता है। इस आयोजन में सभा के हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया और सब मिलजुलकर के आपसी सौहार्द बना कर बसंत पंचमी का कार्यक्रम किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10 बजे मूर्ति पूजन से की गई, जिसमें इंद्रमोहन झा पुजारी के रूप में एवं जजमान के रूप में शशीकांत गिरी रहें 3 घंटे तक विधि-विधान के साथ मूर्ति स्थापन, कलश पूजा, आरती, हवन आदि का आयोजन किया गया। उसके बाद दोपहर 1 बजे से भंडारे का आयोजन किया गया गया जिसमें सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया, भंडारे के बाद शाम 6 बजे माता की आरती का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में बिहारी महासभा की ओर से अतिथियों का स्वागत सम्मान किया गया एवं बिहारी महासभा के सचिव चंदन कुमार झा की ओर से यह निवेदन किया गया कि अगले वर्ष से सरस्वती पूजा के दिन अन्य प्रदेशों की तरह इस प्रदेश में भी सार्वजनिक अवकाश घोषित कर शिक्षण संस्थानों- स्कूल, मेडिकल कॉलेज, सरकारी कॉलेज, गैर सरकारी कॉलेज में सरस्वती पूजा को अनिवार्य किया जाए। यह मांग सरकार और शासन के लोगों से की गइ ।
बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि सरस्वती माता विद्या एवं संगीत की देवी कही जाती है। यह श्वेत वस्त्र धारण करती है। इसका वाहन हंस है, इनके हाथों में वीणा पुस्तक कमल एवं माला होती है। यह ज्ञान की देवी हर मनुष्य को बुद्धि प्रदान कर सकती है। माता स्वभाव से अत्यंत कोमल होती है। मां शारदा विद्या दायिनी बागेश्वरी वाणी आदि नामों से इन्हें पुकारा भी जाता है। मान्यता यह भी है कि माता सरस्वती का जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था, इसलिए इसी दिन इनकी पूजा का महत्व सभी पुराणों में मिलता है। लेकिन दुर्गा नवमी के समय भी सरस्वती पूजा का महत्व होता है। मान्यता के अनुसार नव दुर्गा के दूसरे दिन माता सरस्वती का पूजन किया जाता है। कई जगहों पर पूरे 9 दिन मां सरस्वती मां दुर्गा माता लक्ष्मी की प्रतिमा बैठाकर विधि विधान से इनकी पूजा की जाती है।
सरस्वती की पूजा के विशेष नियम
मां सरस्वती की पूजा के विशेष नियम होते हैं जिसे जानना पूजा को सफल बनाने के लिए बहुत जरूरी होता है। यहां पर घर में सरस्वती पूजा करने की समस्त जानकारियां दी जाती है। जिस दिन सरस्वती की पूजा होती है उस दिन पूजा पर बैठने वाले जजमान को सुबह उठने की आवश्यकता होती है। सुबह नहाते समय पानी में नीम और तुलसी मिलाकर पीते हैं। प्रातः काल में स्नान के पूर्व शरीर पर हल्दी और नीम का लेप लगाना चाहिए । इससे शरीर पूरी तरह शुद्ध हो जाता है। इसके बाद सफेद या नीला कपड़ा पहनना चाहिए। जिस स्थान पर पूजा की जाती है वहां साफ सफाई करना चाहिए और स्थान को फूल आदि से सजाकर मां की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। यह भी आवश्यक है की प्रतिमा स्थापित करने के बाद दवात और दूध से भरा जाता है और उसमें लकड़ी का एक कलम रखा जाता है। साथ ही कुछ किताबें और कोई वाद्य यंत्र हो तो मां के चरणों के पास रखा जाता है। इस तरह के कई अनेक नियम सरस्वती पूजा को लेकर के हैं।
इन लोगों ने की सरस्वती की पूजा मे शिरकत
बिहारी महासभा के सरस्वती पूजा में मुख्य रूप से सभा के अध्यक्ष ललन सिंह सचिव चंदन कुमार झा कोषाध्यक्ष रितेश कुमार के साथ-साथ सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी जिस में प्रमुखता से पूर्व मुख्य सचिव ओमप्रकाश उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन, सचिव नितीश कुमार झा, प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांश एवं पुलिस अधिकारियों में मुख्य रूप से डीजीपी अशोक कुमार , एडीजी अमित सिन्हा , एडीजीपी अंशुमन अपर सचिव गृह निवेदिता कुकरेती, पूर्व अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार डॉक्टर रंजन कुमार विद्या भूषण सिंह राजेश कुमार गोविंदगढ़ मंडल के अध्यक्ष विनय कुमार यादव मंडल सचिव गणेश साहनी कोषाध्यक्ष विजय पाल के साथ-साथ सुरेश ठाकुर धर्मेंद्र ठाकुर दिनेश कुमार कार्यकारिणी सदस्य राजेश रोशन के साथ-साथ बिहारी महासभा के हजारों की संख्या में सदस्यों ने वसंत पंचमी कार्यक्रम मे भाग लिया।