देहरादून: गणतंत्र दिवस परेड अभी तक राजपथ पर होती थी. अब मोदी सरकार ने इस वर्ष उसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया है. नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की यह पहली परेड थी. इसमें उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश में प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में उत्तराखंड राज्य का नाम दर्ज हो गया है. वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गणतंत्र दिवस परेड में पहला पुरस्कार जीतने वाली मानसखंड झांकी में शामिल प्रत्येक कलाकार को 50-50 हजार रुपए देने की घोषणा की है. इस दौरान सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने विजेता ट्रॉफी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेंट स्वरूप दी.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखंड की झांकी को प्रथम स्थान प्राप्त होने से राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति एवं धार्मिक विरासत को देश एवं दुनिया में पहचान मिली है. मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में झांकी के टीम लीडर संयुक्त निदेशक सूचना केएस चौहान के साथ कलाकार उपस्थित थे. मुख्यमंत्री ने प्रथम पुरस्कार मिलने पर प्रदेश के लिए सम्मान की बात बताई.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन पर मानसखंड पर आधारित झांकी प्रस्तावित की गई थी. केदारनाथ और बदरीनाथ की तर्ज पर कुमाऊं के पौराणिक मंदिरों के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना पर काम किया जा रहा है. जिसमें इन प्रमुख मंदिरों का विकास होना है. धामी के विजन के अनुसार पहले चरण में 2 दर्जन से अधिक मंदिरों को इसमें शामिल किया गया है.
इनमें जागेश्वर महादेव, चितई गोल्ज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर, नंदादेवी मंदिर, कसार देवी मंदिर, झांकर सैम मंदिर, पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर, मोस्टमाणु मंदिर, बेरीनाग मंदिर, मलेनाथ मंदिर, थालकेदार मंदिर, बागनाथ महादेव, बैजनाथ मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर, पाताल रुद्रेश्वर गुफा, गोल्ज्यू मंदिर, निकट गोरलचैड मंदिर, पूर्णागिरी मंदिर, वराही देवी मंदिर देवीधुरा, रीठा मीठा साहिब, नैनादेवी मंदिर, गर्जियादेवी मंदिर, कैंचीधाम, चैती (बाल सुंदरी) मंदिर, अटरिया देवी मंदिर और नानकमत्ता साहिब प्रमुख रूप से शामिल किए गए हैं.
इस साल कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में उत्तराखंड की ओर से मानसखंड की झांकी प्रदर्शित की गई थी. 18 कलाकारों के दल ने भी झांकी में अपना प्रदर्शन किया था. झांकी का थीम सांग ‘जय हो कुमाऊं-जय हो गढ़वाला’ को पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध जनकवि जनार्दन उप्रेती ने लिखा था. जिसे सौरभ मैठाणी और उनके साथियों ने सुर दिया था. इस थीम गीत के निर्माता पहाड़ी दगड़िया थे.