कुम्भ मेले मे बिछड्ने से कम नहीं है ये कहानी ! 9 साल की उम्र में गायब हुआ, नानी फोटो लेकर ढूंढती रही, अब खुशी से छलक आयें आँसू

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रामपुर : पुरानी फिल्मो में आपने देखा होगा कि कुम्भ के मेले में बच्चा खों जाता है. उसका परिवार उसे पूरी ज़िंदगी दीवानों की तरह ढूंढता रहता है. हिम्मत नहीं हारते, और बुढ़ापे में बच्चा जवान होकर उनके सामने खड़ा होता है. उसको बचपन की बाते याद दिलाई जाती हैं और उसे याद आ जाता है. ये फिल्मी कहानी उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर में सच हो गई है. रामपुर के सेजनी नानकार निवासी ज़ाकिर का 9 साल का बेटा बिलाल 2009 में अचानक गायब हो गया. थाना गंज में बिलाल के नाना महमूद ने बच्चे की गुमशुदगी दर्ज कराई. पुलिस बच्चे की तलाश में लग गई. बच्चे की तलाश में तेजी की गई. फिर भी बच्चा नहीं मिला. आखिरकार तलाशी बंद कर दी गई, लेकिन बच्चे की नानी (बीबा) ने हिम्मत नहीं हारी. वो अपने नवासे का पुराना फ़ोटो लेकर उसकी तलाश में लगी रही. जहां जाती वहां वो अपने नवासे का फोटो दिखाती और रो पड़ती, हर जगह से उन्हें मायूसी ही मिलती. लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद थी कि एक दिन उनका नवासा जरूर मिलेगा.

13 साल बाद नानी को मिल गया नवासा

13 साल बाद हर रोज की तरह ही वो अपने नवासे की तलाश में निकली. एक अजनबी औरत को वो फोटो दिखाकर रो रही थी. उस औरत ने ध्यान से फ़ोटो देखा और कहा कि यह तो रेहान का फोटो है. बच्चे नानी ने कहा मेरे बिलाल को आप जानती हो. कहा है वो बताओ मुझे. वो औरत उसे घर ले आई और वीडियो कॉल पर रेहान से दिल्ली बात में कराई. रेहान (बिलाल) को वीडियो कॉल पर देखकर उनकी आंखों से आंसू नहीं रुक पा रहे थे. रेहान को दिल्ली से बुलाया गया.

एक बैठक हुई उसमे सारी बाते पूछी गई. सर की चोट और पैर के नाखून के बारे में नानी ने बताया. वही पिता ज़ाकिर ने बताया कि इसकी शक्ल बिल्कुल अपनी मां की तरह है. उनकी मां की मौत हो चुकी थी उनकी मां के फोटो को दिखाया गया, फिर रिहान को भी यकीन हो गया कि वो ही उनका बेटा बिलाल है. फिर परिवार में खुशियां लौट आई.

चाय की दुकान पर किया काम

बिलाल ने बताया कि उसे ध्यान है कि वो दिल्ली की जामा मस्जिद में रो रहा था. तभी किसी रियाज नाम के आदमी ने उनकी मदद की उन्हें खाना खिलाया और उससे पूछा बेटे तुम कौन हो तुम्हारा क्या नाम है कहां से आये हो, लेकिन बिलाल को कुछ याद नहीं था. रियाज ने बच्चे को दिल्ली के लक्ष्मीनगर स्थित एक चाय की दुकान पर छोड़ दिया. चाय की दुकान मालिक ने उसका नाम रिहान रखा और वो वहां काम करने लगा. एक दिन वहां रामपुर निवासी शाहिद मियां पहुंचे और बच्चे को काम करता देख उससे पूछा कि बेटा आप कौन हो. बच्चे ने पूरी कहानी सुनाई.

शाहिद मियां ने कराई रेहान की शादी

शाहिद मियां ने बच्चे को समझाया कि बेटा इस काम से आपकी ज़िंदगी खराब होगी. बच्चे को उनकी बातें अच्छी लगी और बच्चे ने शाहिद मियां के साथ जाने की इच्छा जताई. शाहिद मियां उसे रामपुर के मोहल्ला गाड़ीवान स्थित अपने आवास ले आए. उसे जरी कढ़ाई का काम सिखाया और उनकी पत्नी इमराना बी ने अपने बच्चों के साथ रिहान की भी परवरिश की. रिहान जब अपने पैरों पर खड़ा हो गया. तो शाहिद मियां और इमराना बी ने रिहान की शादी करा दी. अब रिहान के दो बच्चे, 3 वर्षीय बेटी और 2 वर्षीय बेटा है.

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