LIUपर उठ रहे हैं सवाल ! देहरादून मे बेरोजगारों के प्रदर्शन के नाम पर किसने किया बवाल ? क्या सो रही थी लोकल इंटेलिजेंस पुलिस (LIU) ?

खबर उत्तराखंड

देहरादून: 09 फरवरी को बेरोजगार संघ द्वारा अपनी कतिपय मांगों को लेकर राजपुर रोड गांधी पार्क के पास धरना प्रदर्शन किया गया। पुलिस का कहना है कि, इस दौरान प्रदर्शन में शामिल अराजक तत्वों द्वारा उपद्रवी कृत्य करते हुए कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का प्रयास किया गया। साथ ही अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए ड्यूटी में नियुक्त पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट व गाली गलौज की गई और राजकीय व सार्वजनिक वाहनों में तोड़फोड़ करते हुए उन्हें नुकसान पहुंचाया गया। सारी बात समझ में आती है लेकिन जब भीड़ में उपद्रवी तत्व घुस रहे थे तो देहरादून की लोकल इंटेलिजेंस पुलिस  यानी  एलआईयू क्या कर  रही थी ?

एलआईयू क्यों नहीं सतर्क थी ? उनके पास क्यों जानकारी का अभाव था ? क्या प्रदेश की LIU पुलिस कमजोर पड़ते जा रही है ? यह बात इसलिए नहीं उठ रही है कि यह पहली बार हुआ है इससे पहले भी प्रदेश में जब जब सरकार को LIU की जरूरत पड़ी है लगभग सभी मुद्दों पर LIU फेल होती नजर आई है राजनीतिक दृष्टि से देखें तो हरीश रावत के सरकार में कांग्रेस के कई विधायक पार्टी छोड़ कर प्लेन से दिल्ली चले जाते हैं और दिल्ली से वापस आ जाते हैं । एलआईयू   को पता नहीं चलता इस तरह के कई  वाकिये हैं जो बता रहा है कि उत्तराखंड के एलआईयू की  गंभीरता अब सवालों के घेरे में है ।

बात हाल ही मे हुई पत्थरबाजी की घटना की करें तो पुलिस के मुताबिक , इस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर जानलेवा हमला करने के उद्देश्य से उन पर काफी पथराव किया गया, जिसमें 15 पुलिसकर्मी घायल हुए जिन्हें उपचार हेतु अस्पताल भेजा गया। पथराव करने के उपरांत भीड़ द्वारा तितर-बितर होकर एश्ले हॉल चौक तक घंटाघर चौक पर जाम लगाते हुए सड़क को अवरुद्ध किया गया, जिससे आम जनमानस को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन पुलिस महकमे में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित उपद्रवी और शरारती तत्व भीड़ में कैसे घुस गए क्या लोकल इंटेलिजेंस को और देहरादून के एलआईयू के कान में भनक तक नहीं लग सकी और अगर भनक तक नहीं पहुंच पाई तो इसका जिम्मेदार कौन है? क्या पुलिस महकमे को यह सोचने की आवश्यकता नहीं है के गांधी पार्क पर लाठीचार्ज से पहले उपद्रवी अगर भीड़ में घुसे थे तो लोकल इंटेलिजेंस पुलिस क्या कर रही थी ?

उग्र प्रदर्शन में लगभग 3 से 4 हज़ार की संख्या में लोग शामिल थे, भीड़ को उत्तेजित कर उपद्रव करने वाले 13 मुख्य व्यक्तियों को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार किया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इतने सारे इंटेलिजेंस के रहते इस तरह की घटना कैसे घट गई वह भी सरकार के नाक के नीचे जिस जगह पर यह घटना घटी है वह पुलिस मुख्यालय और उत्तराखंड के सबसे बड़े कार्यालय जहां नीति निर्धारण का कार्य होता है सचिवालय उससे महज 400 मीटर की दूरी पर है । क्या सरकार के पास उसकी खुफिया तंत्र में या लोकल इंटेलिजेंस पुलिस एलआईयू में और उसकी सूचनाओं में अकाल पड़ गया है ? अब देखने वाली बात ये होगी की मुख्यमंत्री इस पूरे घटनाक्रम को कैसे देखते हैं और इस पर क्या एक्शन लेते हैं?

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