पिरूल के उपयोग को बढ़ाने पर शासन में मंथन,  मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने दिये कलेक्शन से लेकर ट्रांसपोर्ट तक सुविधाएं देने के निर्देश

खबर उत्तराखंड

देहरादून:  प्रदेश में पिरूल की उपयोगिता बढ़ाने की कवायद तेज है. इसी कड़ी में राज्य में पिरूल के उपयोग को बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास करती रही है. इस दिशा में आजीविका सृजन से लेकर वैकल्पिक ईंधन तक में इसके उपयोग को भी प्रोत्साहित करने की कोशिश की जाती रही है. वहीं मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने उद्यमियों से बातचीत करते हुए इस क्षेत्र में कार्य किए जाने को लेकर विचार-विमर्श किया. इस दौरान पिरूल के उपयोग और विभिन्न उत्पादों को लेकर चर्चा की गई.

पिरूल की बढ़ेगी उपयोगिता

राज्य में पिरूल वनों के लिए कई बार वनाग्नि की घटनाओं को लेकर बेहद खतरनाक साबित होता है. लिहाजा इसके उपयोग को बढ़ाने और इसे विभिन्न प्रयोगों के जरिए उपयोगिता में लाने के प्रयास किए गए हैं. खास तौर पर ईंधन के रूप में प्रयोग करने के लिए पूर्व में भी इस पर काम किया गया है. इसी दिशा में तमाम उद्यमियों से मुख्य सचिव ने बातचीत की और इस क्षेत्र में बेहतर कार्य किए जाने के लिए सुझाव भी मांगे. बातचीत के बाद मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए पिरूल कलेक्शन कर रहे स्वयं सहायता समूहों को नियमित भुगतान के लिए व्यवस्था सुनिश्चित किए जाते हुए एक कॉर्पस फंड बनाए जाने की बात कही.

स्वयं सहायता समूह को प्रशिक्षित की जरूरत

यही नहीं उद्यमियों को भी राहत देते हुए 5 सालों में उद्यमियों द्वारा दिए जाने वाले जीएसटी पर 70% तक की सब्सिडी दिए जाने के भी निर्देश दिए गए हैं. पिरूल के ट्रांसपोर्टेशन की समस्याओं पर भी चर्चा की गई. इस दौरान इसके ट्रांसपोर्ट में ट्रांजिट फीस को भी कम किए जाने के लिए कहा गया. प्रमुख सचिव का कहना है कि ईंधन के रूप में प्रयोग होने वाले ब्रिकेट्स-पैलेट्स की मार्केटिंग व अन्य व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की जाए, जिसका लाभ लोगों को मिल सके. इस दौरान मुख्य सचिव ने स्वयं सहायता समूह को भी इसके लिए प्रशिक्षित किए जाने की जरूरत बताई.

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