देहरादून: जानकीचट्टी खरसाली से यमुनोत्री तक रोपवे निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. गुरुवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में यमुनोत्री धाम रोपवे परियोजना के लिए एमओयू साइन किया गया है. उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज एमओयू के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विश्व प्रसिद्ध चार धामों में से एक यमुनोत्री धाम के लिए रोपवे परियोजना का अनुबंध किया गया है.
Dehradun | Yamunotri Dham is crucial for our state & is recognized worldwide. The yatra via Yamunotri Dham was known for being difficult. An MoU worth Rs 167 crore was signed today for Yamunotri ropeway to ease travel problems of the tourists: Uttarakhand CM, Pushkar Singh Dhami pic.twitter.com/ENqXZ1K3Pi
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 23, 2023
जानकी चट्टी खरसाली से यमुनोत्री धाम तक रोपवे परियोजना को पीपीपी मोड में बनाया जाएगा. यमुनोत्री धाम रोपवे की लंबाई 3.38 किलोमीटर होगी, जो 167 करोड़ की अनुमानित लागत से बनकर तैयार होगी. इस रोपवे परियोजना का निर्माण M/s SRM Engineering & FIL Industries Ltd द्वारा किया जाएगा. यह परियोजना मोनो केबल रोपवे की तकनीक से तैयार होगी. जिसकी क्षमता 500 व्यक्ति प्रति घंटा है. रोपवे का लोवर टर्मिनल प्वॉइंट जानकी चट्टी खरसाली और अपर टर्मिनल प्वाइंट यमुनोत्री मंदिर होगा.
एमओयू साइन होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यमुनोत्री धाम हमारे राज्य के लिए महत्वपूर्ण है और दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है. यमुनोत्री धाम से यात्रा कठिन होने के लिए जानी जाती थी. यमुनोत्री रोपवे के लिए आज 167 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, ताकि पर्यटकों की यात्रा की समस्याएं कम हो सकें. इस रोपवे के विकसित होने से यात्रा अब दूरी और समय के लिहाज से सुविधाजनक हो जाएगी. मुझे उम्मीद है कि विकास प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी. इससे उन सभी पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को लाभ होगा जो यमुनोत्री धाम जाने वाले हैं.
चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव यमुनोत्री धाम होता है और मंदिर तक जाने वाले रास्ते पर चढ़ाई कठिन होती है. समुद्र तल से करीब 3,291 मीटर की ऊंचाई पर बने यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल ही जाना पड़ता है और 5 किलोमीटर की चढ़ाई में करीब 5 घंटे लग जाते हैं.