पटना: इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान यानी आईजीआईएमएस के डॉक्टरों के प्रयास से मोबाइल निगलने वाले एक कैदी की जान बच गई है. इंडोस्कोपी के जरिए अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर आशीष झा ने कैदी के पेट में फंसे मोबाइल को बाहर निकाला है. बता दें कि गोपालगंज जेल में बंद कैदी कौसर अली छापेमारी के डर से मोबाइल निगल लिया था, जिसके बाद दो दिनों तक उसके खाने की थैली में मोबाइल फंसा रहा और वह दर्द से कराहता रहा. पुलिस सुरक्षा में उसे IGIMS भर्ती कराया गया जहां बिना ऑपरेशन के डॉक्टरों को सफलता मिली है.
बता दें कि 17 फरवरी की सुबह गोपालगंज जेल में कौशर नाम का एक कैदी मोबाइल से बात कर रहा था. तभी पुलिस जांच करने पहुंच गई. पुलिस के डर से कैदी ने मोबाइल निगल लिया था. इसके बाद उसकी जान पर बन आ गई. थोड़ी देर बाद उसके पेट में दर्द शुरू हो गया था. पुलिस उसे अस्पताल लेकर पहुंची जहां एक्स-रे देखकर डॉक्टर भी हैरान रह गए. कौशर के पेट में फोन था. मोबाइल कैदी की छाती के नीचे पेट के पास फंस गया. दो दिनों से कैदी के पेट में 3.5 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा फोन फंसा हुआ था.
इसके बाद उसे पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में भर्ती किया गया. एक्स-रे में उसके पेट में मोबाइल दिखा. अस्पताल के डॉक्टरों ने इंडोस्कोपी से उसके मुंह के जरिए मशीन से मोबाइल निकाला. अस्पताल के गैस्टो इंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर आशीष कुमार झा ने बताया कि मोबाइल उसके खाने की थैली में दो दिन से फंसा हुआ था.
आईजीआईएमएस के डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि 25 साल के मेडिकल करियर में यह ऐसा पहला केस था कि कोई मरीज मोबाइल निगल कर एडमिट हुआ हो. यह एक अजूबा केस था. अब कैदी की हालत स्थिर है और खतरे से बाहर है. अस्पताल के निदेशक डॉक्टर बिंदे कुमार ने डॉक्टर आशीष झा के साथ पूरी टीम काे बधाई दी है.