लाठीचार्ज पर आई जांच रिपोर्ट, उठने लगे सवाल, कई बातों का जवाब मिलना बाकी

खबर उत्तराखंड

देहरादून: राजधानी देहरादून में बेरोजगार युवाओं पर लाठीचार्ज मामले की जांच रिपोर्ट शासन में पहुंचते ही हड़कंप मच गया है. दरअसल, इस जांच रिपोर्ट के आधार पर गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को जो चिट्ठी लिखी है, उससे कई सवाल खड़े हो गए हैं. यही नहीं न केवल इस जांच पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, बल्कि ऐसी कई बातें हैं जिनका आधिकारिक तौर पर जवाब आना शेष रह गया है.

बेरोजगार संघ अध्यक्ष बॉबी पंवार ने पूछे सवाल

देहरादून में युवाओं का हुजूम जब सड़कों पर जुटा तो शहर के मुख्य मार्ग पर अफरा-तफरी मच गई. इसके बाद पथराव के साथ लाठीचार्ज की भी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तैरने लगी. बस इन्हीं बातों को गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार की जांच में दर्शाया गया है. गृह विभाग द्वारा पुलिस मुख्यालय को लिखी चिट्ठी से यह साफ हो गया है कि गढ़वाल कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस के बल प्रयोग करने को सही ठहराया है. हालांकि इस जांच रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन गृह विभाग की चिट्ठी सामने आने के बाद गढ़वाल कमिश्नर की जांच पर सवाल जरूर उठने लगे हैं. सबसे पहला सवाल तो उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने उठाए हैं, बॉबी पंवार ने पूछा है कि इस जांच में घटना से पहले के दिन को लेकर किसकी गलती मानी गई है. यह इस चिट्ठी में स्पष्ट नहीं किया गया है.

हरीश रावत ने ट्वीट से उठाया मुद्दा

उन्होंने सवाल उठाया कि हल्का बल प्रयोग करने की जो बात कही जा रही है, उसे तस्वीरों से समझा जा सकता है कि वह बल पुलिस की तरफ से कितना हल्का था. सवाल उठाया गया कि आखिरकार शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे 8 फरवरी के आंदोलन को आधी रात में खत्म करने की पुलिस को ऐसी कौन सी जरूरत आन पड़ी थी और किसके इशारे पर यह सब किया गया. जांच रिपोर्ट के आने के बाद सवाल केवल बॉबी पंवार की तरफ से ही नहीं पूछे गए हैं, पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी अपने ट्वीट के जरिए कुछ ऐसे ज्वलंत तथ्य रख दिए जो वाकई सवाल तो खड़े करते हैं. कहा गया कि गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को जिन तीन अधिकारियों के तबादले करने के लिए कहा गया, क्या जिम्मेदारी केवल उन्हीं लोगों की थी. जबकि उससे बड़े अधिकारी उन दोनों ही घटनाक्रम के दौरान मौके पर थे.

उठ रहे कई सवाल

कुछ सवाल गृह विभाग की पुलिस मुख्यालय को लिखी गई चिट्ठी पर भी खड़े हो रहे हैं. जिसका जवाब उम्मीद है कि जल्दी आधिकारिक तौर पर दिया जाएगा. सवाल यह है कि गढ़वाल कमिश्नर की तरफ से की गई जांच के बाद आखिरकार एक बार फिर आईपीएस अधिकारी द्वारा इसकी जांच क्यों करवाई जा रही है. क्या गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने सभी पहलुओं पर जांच नहीं की? क्या आईपीएस अधिकारी की तरफ से गढ़वाल कमिश्नर की जांच से इतर कुछ किया जा सकेगा.सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ है कि लाठीचार्ज से पहले आधी रात के समय पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी भी मौके पर थे लिहाजा केवल छोटों पर ही तबादले की तलवार क्यों लटकाई गई. एक सवाल यह है कि तीन पुलिसकर्मियों के तबादले की बात लिखी गई है. ऐसे में आखिरकार पुलिस की तरफ से वह कौन सी खामियां हैं जो सामने आई और जिसमें केवल यह तीन अधिकारी ही जिम्मेदार दिखाई दिए.

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