न्यूज़ डेस्क: क्या धरती पर फिर महाविनाश आने वाला है? नासा (NASA) ने कुछ ऐसी ही चेतावनी जारी करके दुनिया को चौंका दिया है. नासा की ये अब तक की सबसे बड़ी चेतावनी है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि आने वाले समय में पृथ्वी पर सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक कुछ दिन पहले भी उनकी टीम ने धरती से अंतरिक्ष की चट्टान (Space Rockes) के टकराने के खतरे को लेकर आगाह किया था, अब वह खतरा तीन गुना ज्यादा बढ़ता हुआ दिख रहा है. नासा के मुताबिक अनुसंधान में कुछ ऐसे नए साक्ष्य मिले हैं जिससे पता चलता है कि चट्टान की तरह दिखने वाले ये ग्रह छोटे (asteroid) जरूर हैं लेकिन टकराने के बाद धरती को बड़े नुकसान पहुंचा सकते हैं. धरती पर महाविनाश आ सकता है. वैज्ञानिकों ने डेटा एनालिसिस करके बताया है कि छोटे ग्रहों के प्रहार का प्रभाव परमाणु बम से भी 10 गुना अधिक शक्तिशाली हो सकता है.
सात लाख साल बार सबसे बड़ा खतरा
गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर (Goddard Space Flight Center) के मुख्य वैज्ञानिक जेम्स गारविन (James Garvin) की ओर से ये सख्त चेतावनी दी गई है कि इस तरह के बड़े अंतरिक्ष चट्टानों का हमला हर छह से सात लाख सालों में एक बार देखा जाता है. जिसके बाद धरती पर बड़ी तबाही मचती है. गारविन और उनकी टीम ने अपने अनुसंधान में पृथ्वी के चारों ओर बड़े छल्ले की पहचान की है. उनके मुताबिक अगर ये सही है तो इसका प्रभाव इतिहास के सबसे बड़े परमाणु बम हमले से भी 10 गुना अधिक शक्तिशाली विस्फोट के बराबर होगा. इसका नतीजा होगा सामूहिक विनाश. हालांकि पहले गारविन ने पिछले सप्ताह एक विज्ञान सम्मेलन में कहा था कि यह एक किस्म का गंभीर बकवास है. लेकिन अब उनकी टीम ने बताया है कि उनका अंदेशा कल्पना से भी कहीं अधिक खतरनाक है. उनके शोध दस्तावेजों में ये वर्णन है कि करीब आठ लाख साल पहले भी अंतरिक्ष की एक चट्टान से धरती पर नौ मील के क्षेत्र में चौड़ा गड्ढा हो गया था.
पहले भी धरती से टकरा चुके हैंं छोटे ग्रह
डेटा एनालिसिस के आधार पर वैज्ञानिकों ने बताया है कि कोई धूमकेतु अगर सात लाख साल में पृथ्वी से टकराता है तो इसका मतलब है कि पिछले दस लाख सालों में चार बार धरती से इनकी टक्कर हो चुकी है. और विना्श आ चुका है.
पूरे मामले पर पोलिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के एक शोधकर्ता अन्ना लोसियाक ने बताया है कि ‘यह वाकई बहुत डरावना होगा. इसका मतलब यह है कि अंतरिक्ष में बहुत सारी चट्टानें हैं जो कभी भी धरती से टकरा सकती हैं और विनाश मचा सकती हैं.’