इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर में स्नेह नगर में रामनवमी को हुए बावड़ी हादसे का एक वीडियो सामने आया है। मौत से लड़कर एक महिला लगभग ऊपर आ चुकी थी कि अचानक रस्सी टूट गई। इस रस्सी से मानों महिला के जीवन की डोर बंधी थी। रस्सी टूटते ही पहले से बेसुध नजर आ रही महिला कई फीट नीचे गिरी और उसकी मौत हो गई। बाद में उसका शव निकालने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
#इंदौर #बावड़ी में समा गए बावन लोग… #36मौत, रेस्क्यू के दौरान रस्सी टूटी,फिर से 40 फिट नीचे गिरी महिला…
इसी नासमझी और लापरवाही के कारण #आर्मी को बुलाना पड़ा… pic.twitter.com/MTvNop0ox3— ATIK PATEL ® (@AZADATIQ) March 31, 2023
घटना को लेकर देश के नंबर वन शहर और स्मार्ट सिटी की पोल खुल गई है। गुरुवार को जिस वक्त हादसा हुआ लोगों ने अपने साधनों से रेस्क्यू शुरू किया। इस बीच पुलिस मौके और फायर ब्रिगेड भी पहुंची और रेस्क्यू शुरू किया। लेकिन न तो पुलिस और न ही फायर ब्रिगेड के पास रस्सियां थीं। बाद में नगर निगम ने कहीं से इंतजाम कर रस्सियां नीचे डालीं। बावड़ी में मौत से जूझ रहे लोगों को रस्सियां दिखीं तो उनकी जान में जान आई। नीचे बेसुध पड़ी महिलाओं, बच्चों को बांधकर निकालना शुरू किया गया, लेकिन इस दौरान एक रस्सी टूट गई। यह रस्सी भी उस वक्त टूटी जब महिला जमीन से महज 3 फीट की दूरी पर थी। इतनी ऊंचाई से रस्सी टूटी और वह सीधे 40 फीट से ज्यादा गहरी बावड़ी में जा गिरी। इसकी बानगी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से मिलती है जिसमें एक व्यक्ति महिला को रस्सी से बांधकर उसे बावड़ी से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है, लेकिन रस्सी टूट जाती है और महिला एक चीख के साथ दोबारा बावड़ी में गिर पड़ती है। मंदिर के आस-पास जुटे कई क्षेत्रीय नागरिक यह शिकायत भी करते दिखाई दिए कि प्रशासन हादसे की भीषणता का सही अंदाजा नहीं लगा सका और उसने बचाव के लिए थल सेना को बुलाने का फैसला घंटों के विलम्ब से किया।
बता दें कि इंदौर के जिस पटेल नगर स्थित मंदिर के नीचे बरसों दबी रही बावड़ी में गिरकर 36 श्रद्धालु काल के गाल में समा गए, वहां अब शोक का चुभने वाला सन्नाटा पसरा है। लगभग 24 घंटे चले बचाव अभियान के दौरान बावड़ी से निकाला गया 36वां शव सुनील सोलंकी (52) का था। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि यह हादसा शहर के इतिहास की सबसे भीषण दुर्घटना के रूप में दर्ज हो गया है जिसमें 21 महिलाओं और दो बच्चों ने भी जान गंवाई है। पटेल नगर के बाशिंदे उस घड़ी को अब तक नहीं भूल सके हैं, जब बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की फर्श हवन-पूजन के दौरान कुछ इस तरह धंसी कि ज्यादातर लोगों को अपनी जान बचाने का मौका ही नहीं मिल सका।