बेंगलुरु : माई लार्ड अगर उसको पैरोल पर रिहा नहीं किया तो मुझे कोई और ले जाएगा। ये किसी ड्रामे या फिल्म का मंजर नहीं बल्कि कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने गुहार लगाती एक युवती की दास्तां है। एक युवती ने हाईकोर्ट के सामने जाकर गुहार लगाई कि जिससे वो जमाने से प्यार करती है वो हत्या के मामले में जेल में बंद है। उसे 15 दिन के लिए पैरोल पर रिहा कर दो, जिससे वो अपने प्रेमी से शादी कर सके। नीथा नामकी युवती ने कर्नाटक हाईकोर्ट में अपनी होने वाली सास के साथ याचिका दायर की थी। उसका कहना था कि वो गारंटी देती है कि 15 दिन की पैरोल के दौरान उसका प्रेमी आनंद कोई ऐसी हरकत नहीं करेगा जिससे कानून या पुलिस को कोई दिक्कत हो।
सजायाफ्ता आनंद की मां भी याचिका में शामिल
आनंद की मां भी याचिका में शामिल थी। उसने कोर्ट से दरखास्त में कहा कि वो बहुत थोड़े समय़ तक जिंदा रहने वाली है। उसकी उम्र हो चुकी है। लेकिन एक सपना है कि अपने जीते जी वो आनंद और नीता को एक साथ देख सके। दोनों लंबे समय से एक दूसरे से प्यार करते हैं। एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते।
युवती की दलीलें सुनकर पिघले जस्टिस
जस्टिस एम नागप्रसन्ना पहले पहल दोनों की याचिका देखकर सांसत में पड़ गए। जब सुनवाई हुई तो उनका दिल भी पिघल गया। उन्होंने नीथा और जेल में बंद आनंद की मां की गुहार सुनी तो वो भी पिघल गए। उन्होंने दोनों को आदेश दिया कि वो जेल अथॉरिटीज के सामने जाकर अपनी दरखास्त रखें। अदालत ने जेल अथॉरिटी को आदेश दिया कि वो कम से कमं 15 दिनों के लिए आनंद को पैरोल पर रिहा करे, जिससे वो नीता से शादी कर सके। आनंद हत्या के मामले में दोषी है। वो बतौर कैदी नंबर 11699 जेल में सजा काट रहा है। उसे फिलहाल 5 अप्रैल की दोपहर से 20 अप्रैल की शाम तक की पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया गया है। अदालत ने सख्ती से कहा है कि वो कोई ऐसा काम न करे जिससे कोई परेशानी पैदा हो।
हाईकोर्ट ने दिया बॉम्बे और राजस्थान के फैसलों का हवाला
हालांकि सरकारी वकील ने नीथा और उसकी होने वाली सास की य़ाचिका का विरोध करते हुए कहा कि आनंद हत्या के मामले में दोषी है। उसे शादी के लिए पैरोल पर रिहा करना गलत है। उनका कहना था कि ऐसा कोई कानून नहीं है जिसमें शादी के लिए पैरोल पर रिहा किया जाए। उनका कहना था कि हत्या के दोषी को किसी की शादी में शरीक होना होता तो बात दूसरी थी। लेकिन इस तरह की याचिका मानने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि आनंद को पैरोल पर रिहा किया जाए।