डिंडौरी: मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है. कुछ दिनों पहले सामूहिक विवाह योजना के तहत सात फेरे लेने से पूर्व प्रेग्नेंसी टेस्ट किया गया था. इनमें से 5 युवतियां गर्भवती पाई गईं. इससे बखेड़ा खड़ा हो गया. हर कोई हतप्रभ था कि आखिर शादी से पहले ये युवतियां गर्भवती कैसे हो गईं. प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद इनका नाम सामूहिक विवाह कार्यक्रम की लिस्ट से हटा दिया गया. इस वाकये को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. वहीं, इसको लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया.
जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश में चल रही मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना पर विवादों का साया गहरा गया है. शनिवार को डिंडौरी जिले में गरीब तबक की 219 युवतियों की शादी कराने की योजना थी. शादी से पहले इन सभी का मेडिकल टेस्ट करवाया गया. शादी के बंधन में बंधने जा रही युवतियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट भी किया गया. इसमें 5 लड़कियां गर्भवती पाई गईं. मतलब उनकी प्रेग्नेंसी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इन पांचों युवतियों को सामूहिक विवाह योजना की लिस्ट से बाहर कर दिया गया. बता दें कि डिंडौरी के गड़सराय में सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित किया गया था.
एक युवती का चौंकाने वाला खुलासा
बवाल और हंगामे के बीच एक युवती ने सनसनीखेज खुलासा किया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस युवती ने बताया कि वह शादी से पहले ही अपने मंगेतर के साथ रहने लगी थीं. इस युवती ने बताया कि उनकी प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिसके बाद उन्हें शादी होने वाली लड़कियों की लिस्ट से बाहर कर दिया गया. प्रेग्नेंसी टेस्ट को लेकर हंगाम खड़ा हो गया है.
‘पहले नहीं हुआ था ऐसा परीक्षण’
स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले कभी इस तरह का परीक्षाण नहीं किया गया था. डिंडौरी के मुख्य चिकित्साधिकारी ने इस पर सफाई देते हुए बताया कि सामान्य तौर पर आयु सत्यापन, एनीमिया और फिटनेस का पता लगाने के लिए परीक्षण किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद संदिग्ध लड़कियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट किया गया था. मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि उनका डिपार्टमेंट सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट देते हैं. विवाह कार्यक्रम में किसी शामिल करना है और किसे बाहर करना है, यह फैसला सामाजिक न्याय विभाग लेता है.