वागेश्वर: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास अंतिम विदाई देने के लिए बागेश्वर में लोगों की भीड़ उमड़ी। पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी समेत तमाम नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बागेश्वर पहुंच गए हैं। चंदन राम दास के निधन पर प्रदेश में तीन दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया गया है। धामी मंत्रिमंडल को चंदन राम दास की कमी हमेशा खलती रहेगी। सीधे, सरल और अपने मजाकियां अंदाज के लिए पहचाने जाने वाले चंदन राम दास अपने कैबिनेट के सहयोगियों में काफी पसंद किए जाते थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का उनसे खास लगाव था। कई नए विधायकों और राजनेताओं के लिए वह राजनीति की एक प्रयोगशाला थे। जानकारों का मानना है कि वर्ष 2007 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद उन्होंने 2012, 2017 और 2022 का चुनाव अपनी सियासी पकड़, कुशल चुनाव प्रबंधन और सीधे और सादगी भरे व्यक्तित्व के कारण जीता था। मंत्रिमंडल के अन्य साथी भी उनके लंबे राजनीतिक अनुभव से प्रभावित होकर उनसे मशविरा और मार्गदर्शन प्राप्त करते थे।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। सरयू-गोमती तथा विलुप्त सरस्वती नदी के संगम पर उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी, मंत्रियों में सुबोध उनियाल, सौरभ बहुगुणा, रेखा आर्या, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, जिलाध्यक्ष इंद्र सिंह फर्स्वाण समेत कपकोट विधायक सुरेश गड़िया आदि ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। जिलाधिकारी अनुराधा पाल व एसपी ने भी पुष्पचक्र चढ़ाया। चिता को मुखाग्नि उनके बेटे गौरव दास व भाष्कर दास ने दी। पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें अंतिम सलामी दी।
उत्तराधिकारी कौन ?
दास के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन होगा, इस पर लोगों की नजर टिक गई है। सबसे पहले नंबर दास की पत्नी पार्वती दास का हो सकता है। भाजपा दिवंगत नेताओं की पत्नियों को महत्व देती रही है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भाजपा के कद्दावर नेता प्रकाश पंत का है। उनके निधन पर उनकी पत्नी चंद्रा पंत को भाजपा ने टिकट दिया था। इस लिहाज से देखा जाए तो स्व. चंदन राम दास की पत्नी पार्वती दास उनकी उत्तराधिकारी हो सकती हैं। बहुत कुछ उनकी (पार्वती दास) इच्छा पर भी निर्भर रहेगा। बहरहाल दास का उत्तराधिकारी दास के ही परिवार से आने की संभावना जताई जा रही है। दास के पुत्र गौरव दास भी पिता की विरासत संभाल सकते हैं। विरासत की बात बहुत हद तक भाजपा संगठन के रुख पर निर्भर रहेगी। नियमानुसार बागेश्वर विधानसभा सीट पर छह महीने के भीतर चुनाव होंगे। किसे दास का उत्तराधिकारी भाजुा बनाएगी, यह उसी (भाजपा) पर निर्भर रहेगा।